प्रसन्न और व्यंग्य की दृष्टि से अंधेर नगरी की समीक्षा कीजिए
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प्रसन्न और व्यंग्य की दृष्टि से अंधेर नगरी की समीक्षा कीजिए
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विसंगतियों का चित्रण, जहाँ न्याय-अन्याय में फर्क नहीं किया जाता। कथानक है-महंत, गोबरधनदास, नारायणदास, हलवाई, फरियादी, कल्लू बनिया, कारीगर, कोतवाल, मंत्री और राजा आदि पात्रों के और बकरी के मर जाने तथा उसके लिए दोषी व्यक्ति को सजा सुनाने की घटना के ज़रिए कथा का विकास ।
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