प्रश्न -1. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नो
पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा,
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह तुझी से बनी हुई है,
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है,
फिर अंत समय तूही इसे अचल देख अपनाएगी।
हे मातृभूमि! यह अंत में तुझमें ही मिल जाए
(क) यह काव्यांश किसे संबोधित है?
(ख) प्रत्युपकार' किसे कहते हैं?
(ग) शरीर-
निर्माण में मातृभूमि का क्या योगदान है?
(घ) अचल' विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और क्यों?
(ङ) यह कैसे कह सकते हैं कि देश से हमारा संबंध मृत्युपर्यत रहता है?
Answers
Answer:
Explanation:
क) यह काव्यांश हमारी देश की मातृभूमि से सम्बोधित हैं।
ख) जो भलाई के बदले भलाई देता हो उसे प्रत्यूप्कर ।
ग) मातृभूमि का योगदान यह हैं कि हम इसी कि मित्ती से बने हिये हैं।
घ) जब हमरे सैनिक शहीद होन्गे तो भारत मता हाय इन्हे बिना हिलाए अपनायेगी ।
Answer:
(क) यह काव्यांश मातृभूमि को संबोधित है। मातृभूमि से हम जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ पाते हैं।
(ख) किसी से वस्तु प्राप्त करने के बदले में कुछ देना प्रत्युपकार कहलाता है। देश का प्रत्युपकार नहीं हो सकता, क्योंकि मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक हमेशा कुछ-न-कुछ इससे प्राप्त करता रहता है।
(ग) मातृभूमि से ही मनुष्य का शरीर बना है। जल, हवा, आग, भूमि व आकाश-मातृभूमि में ही मिलते हैं।
(घ) ‘अचल’ विशेषण मानव के मृत शरीर के लिए प्रयुक्त हुआ है, क्योंकि मृत शरीर गतिहीन होता है तथा मातृभूमि ही इसे ग्रहण करती है।
(ङ) मनुष्य का जन्म देश में होता है। यहाँ के संसाधनों से वह बड़ा होता है तथा अंत में उसी में मिल जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि देश से हमारा संबंध मृत्युपर्यत रहता है।