Hindi, asked by manjudevi7775, 3 months ago

प्रश्न- 10. लेखक ने भारतीयों को लक्ष्य-भ्रम से पीड़ित बताया है। क्या आप भी ऐसा ही मानते है ? यदि हाँ तो क्यों?
यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर-​

Answers

Answered by khanabdulrahman30651
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Answer:

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

हम सब पथ के राही हैं। चलते चले जाते हैं-कुछ पथ छोटे और कुछ बड़े-ऊँचे और नीचे भी, ऊबड़-खाबड़ भी, लेकिन चलने से रुक नहीं पाते। एक साहसी वीर की तरह चले जाते हैं। अरे! यह क्या ? कोई हम पर पत्थर फेंक रहा है, कुछ ऐसे हैं जो उसको देखते भी नहीं। चैतन्य की तरह, अपने में मस्त, हरे कृष्ण हरे राम की ध्वनि उनमें रमी रहती है। चोट का अनुभव होता ही नहीं। जीवन इतनी गहराइयों में उतर जाता है-बाहर की अवस्था का भास नहीं होता। सोची, यह भी तो जीवन है ! दूसरे वे हैं जो हल्की सी चोट को सह नहीं पाते, बौखला जाते हैं। अगर इन चोटों को पुष्पवर्षा की तरह अनुभव करें तो जीवन दूसरा रस लेने लगेगा।

Explanation:

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