पुस्तकें मनुष्य को पथभ्रष्ट होने से बचाती हैं साथ ही उत्तम पुस्तकें मनुष्य और समाज का मार्गदर्शन करती है पुस्तकों का हमारे मन मंदिर पर स्थाई प्रभाव पड़ता है आपने अपने जीवन में अनेक पुस्तकें पढ़ी होंगी उनमें से आपको कौन सी पुस्तक सर्वाधिक प्रिय लगी और क्यों कारण सहित स्पष्ट कीजिए |
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पुस्तकें अंतःकरण को उज्ज्वल करती हैं । अच्छी पुस्तकें मनुष्य को पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाती हैं, उसकी सात्विक वृत्तियों को जागृत कर उसे पथभ्रष्ट होने से बचाती हैं एवं मनुष्य, समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करती हैं । पुस्तकों का हमारे मन और मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव पड़ता है और वे प्रेरणादायक होती हैं।
पुस्तकें सच्ची मित्र होती हैं. अब तक मैं यही समझता था. परंतु उस दिन मेरी यह धारणा भी टूट गई. मैंने एक ऐसी पुस्तक पढ़ी जिसमें घृणा और द्वेष भरा हुआ था. लेखक महोदय किसी विशेष विचारधारा से बंधे हुए जान पड़ते थे, जैसे जंजीरों में झगड़ा हुआ कैदी दांत पीस पीस कर हर अपने जाने वाले को गाली ही देता है उसी प्रकार लेखक महोदय को अपने समाज में सारे लोग शोषक जान पड़ते थे. लेखक को यदि कोई कार में सवारी करता सोचा, वह नफरत के योग्य लगा, जो मंदिर में जाता हुआ मिला वह मूर्ख लगा, जो संस्कारों की बातें करता, वह ढोंगी जान पड़ा. जो संस्कृति और मर्यादा की बात करता , वह शोषक प्रतीत हुआ. उसकी नजरों में सच्चा इंसान वही है जो व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाए. चाहे व्यवस्था उसे सभी सुविधाएं दे रही हो फिर भी उसमें कमियां निकाले. अपने मालिक को, रोजगार देने वालों को अत्याचारी समझे. उसके विरुद्ध समय-समय पर संघर्ष की आवाज उठाता रहे, हड़ताल और तालाबंदी करता रहे, नारे लगाता रहे, झंडा उठाता रहे. ऐसा लगता है कि लेखक के जीवन का लक्ष्य भी मात्र यही था – निरंतर संघर्ष. सच कहूं तो ऐसी पुस्तक पढ़कर मैं शांत नहीं रह पाया. मेरे मन में खलबली मच गई और अशांति की प्राप्ति हुई.