Science, asked by ht063816, 2 months ago

प्रश्न 11 जल प्रदूषध किन-किन कारणों से होता हैं तथा इसे पीने योग किस प्रकार बनाया
जाता हैं​

Answers

Answered by mahatopappu2002
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Answer:

जल - प्रदूषणहम इंसान इतने कम उपलब्ध जल के स्त्रोतों का इस तरह से दोहन कर रहे हैं की जल्द ही हमारे सामने जल संकट अपने विकरालतम रूप में मौजूद होगा। हमारे उपयोग का लगभग सारा जल नदियों, झीलों या भूमिगत स्त्रोतों से आता है। हम न सिर्फ़ जल का उपयोग करते हैं, बल्कि उसे प्रदूषित भी करते हैं। इस तरह हम दोधारी तलवार से अपने जीवनदाता पर वार कर रहे हैं।

vजल की उपयोगिता की चर्चा करना व्यर्थ है। यदि कहूं कि 'जल ही जीवन है' तो अतिशयोक्ति नही होगी। किंतु कैसा जल जीवन है? हमारे कुछ उपयोग जीवन को सहारा देने वाले हैं जैसे की जल का भोजन और पीने के लिए उपयोग। फिर कुछ अन्य सहयोगी कार्य भी हैं जैसे नहाना, कपडे-बर्तन धोना और उद्योग धंधों में काम आने वाला पानी।

पानी पृथ्वी पर पायी जाने वाली एकमात्र ऐसी चीज़ है जो वस्तु के तीनो अवस्थाओं ठोस (बर्फ), तरल (जल) और गैस (जल-वाष्प) रूपों में एक साथ प्राकृतिक तौर पर मौजूद है। जो जल हमें मिलता है, उसमे कई तरह के कण और सुक्ष्म जीव होते हैं। उसमें कुछ हमें फायदा पहुंचाते हैं तो कुछ हमारा नुकसान भी करते हैं।

आईये देखें कि जल में कौन-कौन से गुण होने चाहिए।

1. जल में आंखों से दिखने वाले कण और जीव-वनस्पति नही हों।

2. हानि पहुँचाने वाले सुक्ष्म जीव या कण न हों।

3. जल का pH संतुलित हो।

4. जल में पर्याप्त मात्र में oxygen घुला हो।

जल - प्रदूषण

जब प्रदूषण की बात करें तो उपरोक्त चारों गुण यदि ना हों तो कहेंगे कि जल उपयोग के लायक नही है। प्रथम बिन्दु की बात करें तो पाएंगे कि आंखों से दीखने वाले कण और वनस्पति कुछ तो सीधे तौर पर हमारे द्वारा फेंके गए ठोस कचरे का परिणाम है और कुछ प्राकृतिक कारणों से हैं। प्राकृतिक कारणों में भूमि-क्षरण, प्राकृतिक परिवेश के पौधे इत्यादी हैं। जहाँ पर भोजन होगा, खाने वाले तो वहाँ पहुंचेंगे ही। फिर चाहे वो सूक्ष्म जीव ही क्यों न हों। रही बात जल के pH और oxygen की तो यह सब इंसानी कारनामे हैं। हमारे कल-कारखानों से निकलता औद्योगिक कचरा नदियों और भूमिगत जल-स्त्रोतों को खतरनाक रसायनों के मिलावट से प्रदूषित कर रहा है।

भूमिगत जल-स्त्रोतों का अत्यधिक दोहन होने से उसमे अनेक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुँच गयी है। इसको हम ppm में मापते हैं जिसका अर्थ होता है पार्ट प्रति मिलियन। ओक्सीजन को BOD and COD में मापते हैं।

BOD यानि Biological oxygen demand और COD यानि chemical oxygen demand. pH जल की acidity या alkaline nature को बताता है। साधारण जल का pH 7 होता है। इससे ज्यादा हुआ तो alkaline और कम हुआ तो acidic होता है।

जल में विभिन्न प्रकार के कण की उपस्थिति जल को Hard बनाती है। नाम के मुताबिक ही ऐसे जल से कोई काम कर पाना हार्ड होता है। जल से तमाम चीजों को बाहर कर उसे उपयोग के लायक बनाया जाता है। इसे जल शुद्धिकरण ( Water treatment) कहते हैं।

जल शुद्धिकरण

जल की सफ़ाई करने का सबसे सरल उपाय है - उसको छान लेना। गाँव-देहातों में लोग पुरानी साफ धोती का इस्तेमाल जल को छानने में करते हैं। यह सबसे आसान और सस्ता तरीका है। इस तरीके से जल के बड़े कण और जीव-वनस्पति निकल जाते हैं। किंतु यह उपाय जल में मौजूद सूक्ष्म जीवों और गंध का सफाया नही करता।

दूसरा रास्ता है पानी को उबाल लेना। यह काफी हद तक कारगर तो है किंतु इसमे उर्जा व्यय होती है। उबालने के समय को लेकर काफ़ी भ्रम है किंतु काफी सारे सूक्ष्म जीव सिर्फ़ १०० डिग्री का तापमान आते-आते ख़त्म हो जाते हैं। ज्यादा उबालना उर्जा की बर्बादी के साथ-साथ भारी कणों की सघनता बढ़ा देता है।

तीसरा रास्ता है रसायनों का प्रयोग। आम तौर पर क्लोरीन और आयोडीन का इस्तेमाल होता है। इनकी कार्य-कुशलता इनकी सांद्रता और प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध समय पर निर्भर करता है।

व्यवसायिक तौर पर शुद्ध जल के लिए activated carbon bed जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता है। ये शोध का विषय हो सकता है, किंतु इस पोस्ट को मैं और लंबा नही करना चाहता। कभी समय मिला तो rain water harvesting जैसी तकनीक पर चर्चा ज़रूर करूंगा।

पीने योग्य जल: क्या कहता है भारतीय मानक ब्यूरो

भारतीय मानक ब्यूरो ने पीने लायक पानी किसे माना है। BIS 10500 : 1991 के अनुसार, पीने योग्य पानी उसे कहेंगे जिसमे निम्नलिखित बातें हो।

फिर लाल-काली हो गई कान्ह नदी

टीडीएस क्या है,इसकी गणना कैसे होती है

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Answered by rlbhu169
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Answer:

पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। वास्तव में इसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। इस प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं। जल की गुणवत्ता पर प्रदूषकों के हानिकारक दुष्प्रभावों के कारण प्रदूषित जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता।

पीने के अतिरिक्त घरेलू, सिंचाई, कृषि कार्य, मवेशियों के उपयोग, औद्योगिक तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ आदि में बड़ी मात्रा में जल की खपत होती है तथा उपयोग में आने वाला जल उपयोग के उपरान्त दूषित जल में बदल जाता है। इस दूषित जल में अवशेष के रूप में इनके माध्यम से की गई गतिविधियों के दौरान पानी के सम्पर्क में आये पदार्थों या रसायनों के अंश रह जाते हैं। इनकी उपस्थिति पानी को उपयोग के अनुपयुक्त बना देती है। यह दूषित जल जब किसी स्वच्छ जलस्रोत में मिलता है तो उसे भी दूषित कर देता है। दूषित जल में कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों एवं रसायनों के साथ विषाणु, जीवाणु और अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव रहते हैं जो अपनी प्रकृति के अनुसार जलस्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

२.जल शुद्धिकरण

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