History, asked by amansinghaster6694, 11 months ago

प्रश्न 12.
देशी रियासतों के भारत विलय में क्या कठिनाइयाँ थीं ? बताइये।

Answers

Answered by shishir303
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जब भारत आजाद हुआ जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो भारत उस समय कई छोटी-बड़ी देशी रियासतों में बंटा हुआ था। इन सब रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत के रूप में विलय करने में बड़ी कठिनाइयां थी।

अंग्रेजों देश भारत को आजादी देते समय अपनी धूर्तता और चालाकी कर गये और देशी रियासतों के साथ की गई अपनी सारी संधियों को रद्द कर गए और उन्हें यह अधिकार दे दिया कि वह अपनी मर्जी से भारत में या पाकिस्तान में विलय हों या स्वतंत्र रहें।

इससे यह समस्या उत्पन्न हो गई कि कुछ शासकों के मन में स्वतंत्र रहे की इच्छा जाग उठी और कुछ रियासतों के शासक पाकिस्तान के बहकावे में आकर पाकिस्तान के साथ विलय की जोर आजमाइश करने लगे। ऐसे कार्यों से अखंड भारत की परिकल्पना के लिए खतरा उत्पन्न हो गया था।

ऐसे में सरदार पटेल ने अपने प्रयासों से धीरे-धीरे सभी रियासतों के शासकों को भारतीय संघ में विलय के लिये राजी कर लिया, और 15 अगस्त 1947 तक कुछेक रियासतों को छोड़कर लगभग सभी रियासते भारतीय संघ में विलय को सहमति दो चुकी थीं।

भोपाल का नवाब जिन्ना के बहकावे में आकर पाकिस्तान के साथ अपनी रियासत के विलय की योजना बना रहा था। इस योजना में राजस्थान की कुछ रियासतों को भी शामिल करने का षड्यंत्र रच रहा था परंतु समय मेवाड़ की रियासत भोपाल और पाकिस्तान के बीच में स्थित थी। उसके महाराणा ने पाकिस्तान में मिलने से इंकार कर दिया और तुरंत भारत में शामिल होने की सहमति दे दी इससे भोपाल के नवाब का पाकिस्तान में विलय की योजना धराशाई हो गई।

15 अगस्त 1947 से पूर्व जूनागढ़, हैदराबाद एवं कश्मीर रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतों ने भारतीय संघ में शामिल होने पर अपनी सहमति दे दी थी।  

जूनागढ़ रियासत का नवाब पाकिस्तान में अपनी रियासत को शामिल करने की योजना बना रहा था, जबकि जूनागढ़ की जनता भारतीय संघ में शामिल होना चाहती थी। ऐसे में जूनागढ़ की जनता ने विद्रोह कर दिया और भारत ने अपनी सेना भेजकर जूनागढ़ रियासत को भारतीय संघ में शामिल कर लिया।  

हैदराबाद का निजाम भी भारतीय संघ में शामिल नहीं होना चाहता और वह स्वतंत्र रहना चाहता था परंतु हैदराबाद की जनता भी भारतीय संघ में शामिल होने के पक्ष में थी। ऐसे में सरदार पटेल ने भारतीय सेना भेजकर हैदराबाद रियासत को भी भारतीय संघ में मिला लिया।  

उसके बाद केवल कश्मीर रियासत बची थी जिसने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था लेकिन पाकिस्तान ने कश्मीर रियासत को जबरन पाकिस्तान में मिलाने हेतु अचानक कश्मीर पर हमला कर दिया। तब कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारतीय सरकार से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान के आक्रमण के विरुद्ध उनकी मदद करें और इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी सहमति दे दी थी कि वह भारतीय संघ में शामिल हो जाएंगे। तब भारत सरकार ने अपनी सेना भेजकर कश्मीर रियासत को पाकिस्तान के आक्रमण से मुक्त कराया और कश्मीर रियासत भी भारतीय संघ में शामिल हो गई, हालांकि तब तक पाकिस्तान कश्मीर के कुछ भूभाग पर अपना अवैध कब्जा कर चुका था जो कि आज तक विवाद का विषय बना हुआ है।

इस प्रकार देशी रियासतों के भारत में विलय में अनेक कठिनाइयां थीं जिनके साथ सूझ-बूझ से निपटा गया।

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