History, asked by Gautamrocks6602, 11 months ago

प्रश्न 8.
भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बताइये।

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Answered by shishir303
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जब भारत आजाद हुआ तो अनेक रियासतों में बंटा हुआ था। इन सब रियासतों को मिलाकर एक अखंड भारत के रूप में एकीकृत करना एक बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य था। भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है।

भारत को आजादी देते समय अंग्रेज चालाकी कर गए और अपनी धूर्तता का परिचय देते हुए भारत को दो भागों में विभाजित कर दिया और पाकिस्तान नाम का एक नया देश बना। इसके साथ ही उन्होंने देसी रियासतों के साथ हुई अपनी सारी सन्धियों को रद्द कर दिया। जिससे वह देशी रियासतों के शासक पूरी तरह स्वतंत्र हो गए और यह उनके ऊपर निर्भर हो गया कि वह किस देश के साथ जाना चाहते हैं भारत के साथ या पाकिस्तान के साथ। ऐसे में बहुत बहुत सी रियासतों के शासक ऐसे थे जो पाकिस्तान के बहकावे में आकर पाकिस्तान के साथ विलय की को योजना बना रहे थे। इस कारण अखण्ड और संपूर्ण भारत की योजना साकार होती नही दिख रही थी।

तब सरदार पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग की स्थापना की गई। वीपी मेनन को इसका सचिव नियुक्त किया गया। सरदार पटेल ने सभी देशी रियासतों के शासकों को भारत में विलय करने के लिए प्रेरित किया। उन्हें उनकी भौगोलिक परिस्थिति तथा जनता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए भारत में विलय का सुझाव दिया। बड़ौदा और बीकानेर के शासकों ने सबसे पहले भारतीय संघ में शामिल होने की अपनी सहमति दी। भोपाल का नवाब जिन्ना के बहकावे में आकर राजस्थान के कुछ राजाओं को अपने साथ लेकर पाकिस्तान में विलय होने की योजना बना रहा था। लेकिन भोपाल और पाकिस्तान के बीच मेवाड़ रियासत थी और इसके राणा भूपाल सिंह पक्के देशभक्त थे। उन्होंने देशभक्ति का परिचय देते हुए भारत में विलय करने का निश्चय किया। इस प्रकार भोपाल का नवाब भोपाल रियासत को पाकिस्तान में नहीं कर पाया और उसकी योजना विफल हो गई और भोपाल रियासत भी भारत में विलय हुई।

15 अगस्त 1947 तक केवल जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर लगभग सारी छोटी बड़ी रियासतें भारत में अपने विलय को सहमति दे चुकी थीं।

जूनागढ़ रियासत की प्रजा भी भारत में विलय होना चाहती थी परंतु जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में विलय करना चाहता था। ऐसी स्थिति में जूनागढ़ की जनता ने विद्रोह कर दिया और सरदार पटेल ने सेना भेजकर जूनागढ़ के नवाब को अपदस्थ कर दिया। इस प्रकार जूनागढ़ का विलय भी भारत में हुआ।

हैदराबाद रियासत का निजाम भारत से अलग स्वतंत्र रहना चाहता था परंतु हैदराबाद की जनता भारत में विलय की इच्छुक थी। ऐसी स्थिति में सरदार पटेल ने भारतीय सेना भेजकर हैदराबाद की रियासत का भारत में विलय करवा लिया।

अब केवल कश्मीर रियासत ही थी जो भारत में नहीं हो पाई थी। तभी पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान से उनकी रियासत की रक्षा करें और उन्होंने भारत में अपनी रियासत के विलय हेतु अपनी सहमति प्रदान कर दी। तब कश्मीर में सेना भेजकर कश्मीर को पाकिस्तानियों से सुरक्षित किया गया और कश्मीर का विलय भी भारत में हो गया। हालांकि कश्मीर के थोड़े से भूभाग पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर लिया था। जिस पर आज तक विवाद बना हुआ है।

इस प्रकार सरदार पटेल ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए भारत की अनेक देशी रियासतों का विलय भारत में करके एक अखंड भारत का निर्माण किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति वाले कृत्य के कारण ही उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है

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