Physics, asked by beeranju7, 10 months ago

प्रश्न-15 कानों के उत्क्रमणीय इंजन का सिद्धांत क्या है? इसके प्रमुख भागों के कार्यसमझाइए।


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Answered by shishir303
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कार्नों के उत्क्रमणीय सिद्धांत के अनुसार उत्क्रमणीय इंजन की दक्षता का मान अनुत्क्रमणीय इंजन की दक्षता के मान के समान होता है। कार्नों के सिद्धांत के अनुसार ऐसा इंजन जिसमें उत्पन्न पूरी ऊष्मा का इस्तेमाल कार्य के रूप में रूपांतरित करने के लिए किया जाए अर्थात उस इंजन में किसी भी तरह की उष्मा या ऊर्जा का ह्रास ना हो, वह कार्नो के उत्क्रमणीय इंजन का सिद्धांत है। व्यवहारिक रूप से किसी भी इंजन में 100% दक्षता नहीं होती अर्थात उसमें किसी ना किसी रूप में थोड़ी बहुत ऊर्जा की हानि जरूर होती है, इसलिए कार्नों का उत्क्रमणीय इंजन का सिद्धांत एक आदर्श इंजन का सिद्धांत माना गया है जो व्यवहारिक रूप में प्राप्त नहीं किया जा सकता।

कार्नो इंजन के चार प्रमुख भाग होते हैं...

सिलेंडर व पिस्टन, ऊष्मा स्रोत, सिंक, पूर्ण कुचालक प्लेट।

  • इसके पहला में आधार चालक होता है तथा इसकी दीवारें कुचालक पदार्थ से बनी होती हैं। इस भाग में कार्यकारी पदार्थ के रूप में आदर्श गैस भरी होती है और इस पर एक पिस्टन लगा रहता है, जिसका घर्षण 0 माना जाता है।
  • ऊष्मा स्रोत ऊष्मा पैदा करने वाला भाग होता है जहां पर जरूरत के अनुसार कितनी भी ऊष्मा का भंडार उत्पन्न किया जा सकता है।
  • सिंक इंजन का वो भाग होता है, उच्च ऊष्मा को ग्रहण करने की क्षमता रखता है। इस भाग का ताप तो निम्न होता है। ऊष्मा स्रोत का ताप उच्च होता है, ऐसी स्थिति में ऊष्मा स्रोत में जो भी ऊष्मा उत्पन्न होती है, वो निम्न ताप वाले सिंक की तरफ गति करती है और सिंक वाला भाग उस उच्च ताप को ग्रहण कर लेता है।
  • ऊष्मा स्रोत और सिंक के बीच में एक कुचालक स्टैंड लगा होता है।

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Answered by mayamdgr2001
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Answer:

karno injan ki utkramnita injan

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