प्रश्न 2.
जैन दर्शन के त्रिरत्न की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
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Answer:
सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र
Explanation:
जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र है l
मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह त्रिरत्न आवश्यक है, यह लक्ष्य त्रिरत्नो के पालन करने से प्राप्त होता है l
ये त्रिरत्न है:
- सम्यक ज्ञान: सत्य मे विश्वास और सत्य तथा असत्य का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है l
- सम्यक दर्शन: सच्चे देव, गुरु, यथार्थ ज्ञान के प्रति श्रद्धा ही सम्यक दर्शन है l
- सम्यक चरित्र: अहितकारी कार्यों का निषेध तथा हितकारी कार्यों का आचरण ही (इंद्रियों तथा कर्मों पर पूर्ण नियंत्रण) ही सम्यक चरित्र है l
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