प्रश्न 2.
जैन धर्म के पंच महाव्रत कौन-कौन से हैं ? संक्षेप में बताइए।
Answers
Answer:
जैन धर्म के पंच महाव्रत निम्नलिखित हैं-
अहिंसा
सत्य
अपरिग्रह
अस्तेय
ब्रह्मचर्य
Explanation:
जैन धर्म के पंच महाव्रत निम्नलिखित हैं-
अहिंसा-
जैन साधु – साध्वी किसी भी जीव की हिंसा नहीं करते हैं। छोटे से छोटे जीव को भी पीङा नहीं देने की प्रतिज्ञा के साथ ही जीवन जीते हैं।
सत्य-
जैन साधु तथा साध्वी कभी भी झूठ नहीं बोलते चाहे कितनी भी कठिनाई उनके जीवन में आ जाये।
अपरिग्रह-
जैन साधु अपने पास पैसा नहीं रखते। वे किसी भी प्रकार की चल या अचल संपत्ति नहीं रखते तथा न ही किसी चीज का संग्रह करते हैं।
अस्तेय-
जैन धर्म में चोरी नहीं कर सकते तथा किसी ने चोरी कर भी ली तो वह पापी कहलाता है।
ब्रह्मचर्य-
जैन साधुओं को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना पङता है। उनके नियम काफि सतर्कता भरे होते हैं। साधुओं के लिए स्री चाहे वह किसी भी उम्र की हो तथा साध्वी के लिए पुरुष चाहे वह किसी भी उम्र का हो उवके लिए विजातीय स्पर्श निषिद्ध हैं।
पंच महाव्रतों में जैन धर्म का
- जैन व्रत, जैन धर्म में, भारत का एक धर्म, कोई भी प्रतिज्ञा (व्रत) जो भिक्षुओं और आम लोगों दोनों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
- महाव्रत, या पाँच "महान प्रतिज्ञाएँ", केवल तपस्वियों द्वारा जीवन के लिए की जाती हैं और इसमें अविनाशी, झूठ बोलने से परहेज़ और चोरी करना, शुद्धता और सभी संपत्ति का त्याग शामिल है।