प्रश्न 2. मछलियों को परिपूरक आहार देना क्यों आवश्यक है?
जन्तु मूल के परिपूरक आहार पर टिप्पणी लिखिए ।
Answers
Explanation:
मछलीपालन जलीय खेती है जिन उर्वरकों का प्रयोग खेतों में किया जाता है, उन उर्वरकों को ही मोटे तौर पर मछलीपालन के लिए आवश्यकता होती है। इन उर्वरकों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है।
कार्बनिक खाद/जैविक खाद जो निम्नलिखित है
क. भेड़, बकरी, सूअर का मल-मूत्र
ख. बत्तख.मुर्गी का मल-मूत्र
ग. मवेशियों को गोबर
घ. हरी खाद
अकार्बनिक खाद.रासायनिक खाद
इसमें यूरिया/सिंगर सुपर फास्फेट/डी.ए.पी. आदि शामिल है।
चूना
चूने का प्रयोग तालाब में किया जाना अनिवार्य है अतः इसे भी हम खाद की ही श्रेणी में रखते हैं। इसके प्रयोग से मिट्टी में वर्तमान पोषक तत्व पानी में उपलब्ध हो पाते हैं। कली चूने को बुझा आकर पानी में घोल का तालाब में इनका छिड़काव् किया जाता है। चूने के प्रयोग से निम्नांकित लाभ है।
पानी के पी.एच. को 7.50 से 8.50 के बीच संतुलित रखता है अर्थात हल्का क्षारीय बनाये रखता है।
पाने को स्वच्छ एवं स्वास्थ्यप्रद रखते हुए इसमें घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है।
मछलियों को रोगमुक्त रखने में सहायता करता है।
मछलियों की वृद्धि तथा प्रजनकों को समय पर परिपक्व होने में सहायक है।
जब कई दिनों से बादल के कारण सूर्य नहीं निकला हो या मछलियां सूर्योदय के पूर्व सतह पर आकर असमय व्यवहार करती हो तो मछलियों को आकस्मिक मृत्यु से बचाता है।
तालाब में प्रयोग किये जाएं वाले गोबर आदि को तीब्रता से विघटित करता है। चूने का प्रयोग खाद डालने के एक सप्ताह पर्व किया जाता है।