Math, asked by jainnikita101, 2 months ago

प्रश्न 2. श्री गजेन्द्र सिरोही को। अप्रैल 2020 को तीन कम्पनियों से नियुक्ति प्रस्ताव
मिले-
विवरण
Y
Z
मूल वेतन
250000
248000
1445000
कमोशना अनुमानित विक्रय 5 लाख रु.)
5000
12000
विक्रय पर 5%
मकान सुविधा (यह 28ORप्रतिमाह किराये किराया
के मकान में रहता है।
मकान
मुक्त मकान किराया नहीं
मत्ता 1000
प्रतिमाह
बोनस
6000
%
महंगाई भत्ता
15500 प्रति माह
3300 प्रति माह
6000 प्रति माह
वह अपनी कार से कार्यालय आने-जाने
के लिए 400 रु. प्रतिमाह खर्च करेगा।
शिक्षा सुविधा (उसका एक पुत्र व एक शिक्षा भत्ता एवं शिक्षा
संचालित
भत्ता नियोक्ता द्वारा
पुत्री पट रहे हैं एवं छात्रावास में रहते हैं
विद्यालय
1200 रु प्रति माह भुगतान 1200
। प्रत्येक पर 600 रु. प्रतिमाह का व्यय
निशुल्क
जत्रावास
मे
लागत व्यय 1200​

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Answered by Charlie2747
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Step-by-step explanation:

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Answered by BrokenJoystick
2

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सावधान! अप्रैल से कम हो जाएगी ‘टेक होम‘ सैलरी, सरकार ला रही नया नियम

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Updated Thu, 31 Dec 2020 12:01 AM IST

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रुपये - फोटो : pixabay

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नौकरीपेशा लोगों के लिए यह खबर उन्हें सावधान करने वाली है। दरअसल सरकार अप्रैल 2021 से नए नियम लागू कर रही है, इसके कारण आपके हाथ में आने वाली सैलरी यानी ‘टेक होम सैलरी‘ कम हो सकती है। दरअसल, सरकार नए कंपनसेशन नियम लागू करने जा रही है, ताकि कर्मचारी अपने भविष्य के लिए ज्यादा पैसा सुरक्षित रख सकें।

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बता दें कि गत वर्ष केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को लेकर नया कानून बनाया है। इसे संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है। अब माना जा रहा है कि सरकार अधिसूचना जारी कर इसे लागू करने जा रही है। इससे कर्मचारियों के हाथों में नकद राशि कम आएगी, लेकिन उनकी भविष्य निधि व ग्रेज्युटी राशि बढ़ती रहेगी।

सरकार ने पिछले साल यानी 2019 में नई श्रम संहिता व वेतन कानून बनाया था। इसमें तय किया गया है कि कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है। यानी कर्मचारी के कुल वेतन में कम से कम 50 फीसदी बेसिक सैलरी होना चाहिए। इन नियमों पर कंपनियों की राय मांगी गई है। राय मिलने के बाद इस बारे में अंतिम फैसला लिया जा सकता है।

अभी वेतन में भत्तों के रूप में ज्यादा राशि

अभी जो व्यवस्था है उसमें भत्तों का हिस्सा ज्यादा होता है और मूल वेतन यानी बेसिक सैलरी कम होती है। इसी कारण केंद्र सरकार नए नियम लागू कर कर्मचारियों के भविष्य के लिए ज्यादा राशि बचाने पर जोर दे रही है। हालांकि इसका बुरा असर यह होगा कि अभी ज्यादा नकद पैसा पा रहे कर्मचारियों के हाथों में नकद राशि कम आएगी। इससे उनके खर्च व ईएमआई का गणित गड़बड़ा सकता है। कंपनियों पर भी पीएफ व ग्रेज्युटी का बोझ बढ़ जाएगा।

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