प्रश्न-24)निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
अहिंसा भी सत्य का पूरक है । अहिंसा का व्यवहार सत्य है । अहिंसा में दूसरों के अधिव
जीवधारियों की स्वीकृतिरहती है । अहिंसा मनसा, वाचा, कर्मणा तीनों से होती है। अहिंसा के पी
दो का सिद्धांत रहता है। जहाँ अहिंसा गान नहीं वहाँ मानवता नहीं । अहिंसा मानवता का पर्या
जान को लेने का अधिकार नहीं जिसे वह दे नहीं सकता। हिंसा केवल जान लेने में ही है, वरन
आधात पहुंचाने में भी हो सकती है।
1. उपर्युक्त गद्यांश का समुचित शीर्षक दीजिए।
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हिंसा भी सत्य का पूरक है । अहिंसा का व्यवहार सत्य है । अहिंसा में दूसरों के अधि जीवधारियों की स्वीकृति रहती है। अहिंसा मनसा, वाचा, कर्मणा तीनों से होती है। अहिंसा के पीदो का सिद्धांत रहता है। जहाँ अहिंसा गान नहीं वहाँ मानवता नहीं । अहिंसा मानवता का पर्या जान को लेने का अधिकार नहीं जिसे वह दे नहीं सकता। हिंसा केवल जान लेने में ही है, वरन आघात पहुंचाने में भी हो सकती है।
1. उपर्युक्त गद्यांश का समुचित शीर्षक दीजिए।
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक...
— अहिंसा परमो धर्म।
2. उपर्युक्त गद्यांश का भाव...
अंहिसात्मक व्यवहार करना मानवता का धर्म है। जहाँ अहिंसा नही है, वहाँ मानवता नही है।
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