Hindi, asked by vineetchaudhary015, 3 months ago

प्रश्न -2निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीज
शरीर और मिट्टी को लेकर संसार की असारता पर बहुत कुछ कहा जा सकता है परंतु यह भी ध्यान देने की बात है कि
जितने सारतत्व जीवन के लिए अनिवार्य है, वे सब मिट्टी से ही मिलते हैं |जिन फूलों को हम अपनी प्रिय वस्तुओं का
उपमान बनाते हैं, यह सब मिट्टी की ही उपज है | रूप, रस, गंध, स्पर्श इन्हें कौन संभव करता है? माना कि मिट्टी और धूल में अंतर है
लेकिन उतना ही जितना शब्द और रस में है, देह और प्राण में, चांद और चांदनी में मिट्टी की आभा का नाम धूल है और मिट्टी के रंग
रूप की पहचान उसकी धूल से ही होती है।​

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Answered by shamshadmirza518
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Explanation:

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