Social Sciences, asked by Lonewolf5708, 11 months ago

प्रश्न 3.
भूकम्प की उत्पत्ति के कारणों पर प्रकाश डालिए।

Answers

Answered by deeksha7790
9

Answer:

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भूकम्प का अभिप्राय सामान्यतः पृथ्वी की सतह के कम्पन से है। यह कम्पन पृथ्वी पर जीवन एवं सम्पत्ति को हानि पहुँचाने के लिए पर्याप्त होता है। भूकम्प की तीव्रता को सीस्मोमीटर (आधुनिक रूप) या रिएक्टर स्केल द्वारा मापा जाता है जिसे सीस्मोग्राफ कहते हैं। भूकम्प के फलस्वरूप झटकों को मरकैली पैमाने पर मापा जाता है। भूकम्प की तीव्रता में, एक तीव्रता की वृद्धि (यानी 6.0 से 7.0) होने पर उसका प्रभाव दस गुना अधिक हो जाता है। भूकम्प के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, दो माप निर्धारित किये गये हैं। पहला 3 तीव्रता या उससे कम, जिसे कमजोर अथवा अगोचर माना गया है, जबकि तीव्रता 7.0 या उससे अधिक तीव्रता के भूकम्प को अति विनाशकारी माना गया है। विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन के फलस्वरूप तीव्रता 9.0 वाले भूकम्प को अधिकतम तीव्रता वाला माना गया है, परन्तु भूकम्प की अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है।

1. प्राथमिक तरंगे (P-Wave)- प्राथमिक तरंग को अनुदैर्ध्य तरंग या ध्वनि तरंग भी कहते हैं क्योंकि ये तरंगे ध्वनि तरंगों की भाँति व्यवहार करती हैं। यह तरंगे सबसे तेज गति से चलती हैं और ठोस तथा द्रव माध्यम दोनों से चल सकती हैं

2. द्वितीयक तरंगे (S-Wave)- द्वितीयक तरंग को अनुप्रस्थ तरंग या प्रकाश तरंग भी कहते हैं, क्योंकि ये प्रकाश तरंगों की भाँति व्यवहार करती हैं। यह तरंगे द्रव माध्यम में लुप्त हो जाती हैं अतः इसी तरंग को सिस्मोग्राफ पर अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी का क्रोड (केन्द्र) द्रवीय अवस्था में है।

3. सतही तरंगे (Surface-Wave)- यह तरंगे केवल धरातल पर चलती हैं अतः इसी से सर्वाधिक नुकसान पहुँचता है।

विशेषज्ञों का यह मानना है, कि पृथ्वी की सतह से लेकर केन्द्र तक, पृथ्वी कई परतों में विभक्त है। इन परतों को खण्डों या प्लेटों की संज्ञा प्रदान की गई है। पृथ्वी की बाह्य सतह में कई खण्डों अथवा चट्टानों के मिलन स्थल पर भ्रंश अथवा फॉल्ट का निर्माण हो जाता है। कई लाखों वर्षों के समयान्तर में ये विवर्तनिक प्लेटें विस्थापित होती और अलग भी होती हैं, इस कारण घर्षण से ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो इन भूखण्डों में दबाव के फलस्वरूप पृथ्वी सतह पर भूकम्प के रूप में प्रकट होती है। अपकेन्द्रित प्लेट सीमाओं पर जब एक प्लेट दूसरी के नीचे खिसक जाती है या फिर पृथ्वी सतह पर पर्वत श्रृंखला का निर्माण करती है, दोनों ही स्थितियों में प्लेटों के मिलन स्थल पर भयावह तनाव उत्पन्न हो जाता है। इसी तनाव का अचानक निष्कासन भूकम्प को जन्म देता है।

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