प्रश्न 5.
भारत में सूखा के कारणों पर प्रकाश डालिए।
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सूखा प्रबंधन
वर्षा होने के तौर तरीकों, मानव व्यवहार और उसकी प्रतिबद्धता आदि जैसेविभिन्न विशेषताओं और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके अलग-अलग प्रभाव के कारण सूखे की एक संक्षिप्त और सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य परिभाषा प्रदान करना बहुत कठिन है। सूखा एक सामान्यी, जलवायु का एक संभावित विशेषता है जो प्रत्येक जलवायु क्षेत्र में घटित होता है और आमतौर पर यह स्थानिक विस्तार, तीव्रता और इसकी अवधि के आधार पर निर्धारित होता है। सूखे के कारण आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव पड़ते हैं।
सूखे की स्थिति
कृषि मंत्रालय सूखे की स्थितियों की निगरानी करने और उसका प्रबंधन करने के लिए नोडल मंत्रालय है और सूखे को मौसमी सूखा, जलीय सूखा और कृषि सूखे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। मौसमी सूखे को दीर्घावधिक अनुपात के संदर्भ में वर्षा में हुई कमी के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है यथा 25 प्रतिशत या इससे कम की दर पर वर्षा में कमी को सामान्य सूखा, 26 से 50 प्रतिशत की कमी को मध्यम सूखा और 50 प्रतिशत से अधिक की कमी को गम्भीर सूखे की स्थिति मानी जाती है।
कृषि मंत्रालय सूखे की स्थितियों की निगरानी करने और उसका प्रबंधन करने के लिए नोडल मंत्रालय है और सूखे को मौसमी सूखा, जलीय सूखा और कृषि सूखे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। मौसमी सूखे को दीर्घावधिक अनुपात के संदर्भ में वर्षा में हुई कमी के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है यथा 25 प्रतिशत या इससे कम की दर पर वर्षा में कमी को सामान्य सूखा, 26 से 50 प्रतिशत की कमी को मध्यम सूखा और 50 प्रतिशत से अधिक की कमी को गम्भीर सूखे की स्थिति मानी जाती है।जलीय सूखा सतह और अवसतह जल आपूर्ति में कमी होने के रूप में परिभाषित किया जाता है जिससे सामान्य और विशेष जरूरतों के लिए जल की कमी हो जाती है। ये स्थितियां उस समय भी उत्पन्न हो जाती हैं जब जल के बढ़े हुए उपयोग के कारण औसत वर्षा (या औसत से अधिक) वाले समय में भी आरक्षित जल समाप्त हो जाता है।
सूखा प्रभावित क्षेत्र
कृषि सूखा को चार लगातार सप्ताहों तक मौसमी सूखे के रहने पर निर्धारित किया जाता है। ऐसी स्थिाति तब उत्तापन्न होती है जब खरीफ के मौसम में 80 प्रतिशत फसल रोपी गई हो और सप्ताहिक जल वृष्टि 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच 50 मिलीमीटर और शेष वर्ष में ऐसी जल वृष्टि 6 लगातार सप्ता1ह के दौरान हुई हो।
भारत में देश का लगभग 68 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न मात्राओं में सूखे से प्रभावित रहता है । भारत का 35 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जिसमें 750 मिलीमीटर और 1125 मिलीमीटर के बीच वर्षा होती है और उसे सूखा प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, जबकि भारत के 33 प्रतिशत हिस्से में 750 मिलीमीटर से कम वर्षा होती है और इसे गम्भीर सूखा प्रभावित क्षेत्र माना जाता है।
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