प्रश्न-4 (क) 'पठितः' इत्यस्मिन् पदे प्रत्यय: अस्ति- (1) शतृ (2) क्तवतु (3) क्त (4) क्त्वा। (ख) 'प्रणम्य' इत्यस्मिन् पदे प्रत्यय: अस्ति- (1) ल्यप् (2) तुमुन् (3) क्त (4) तव्यत। (ग) 'पठितुम्' प्रत्ययस्य उदाहरणं अस्ति- (1) लभमान: (2) हतवान् (3) वदितुम् (4) जयत:। (घ) 'क्त्वा' प्रत्ययस्य उदाहरणं अस्ति- (1) हसितुम् (2) हतवान् (3) पठित्वा (4) हसन्। प्रश्न-5 (क) 'अपठत' इत्यस्मिन पदे धात: अस्ति-
sanskrit A ha
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1(a) 4(d) 3(d) 2(c)
ya in ka answer haa
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1(a), 4(d), 3(d), 2(c)
Explanation:
- यदि एक ही कर्ता क्रम से (एक के बाद दूसरी) दो क्रियाएं करता है, तब पहली क्रिया को क्त्वा अथवा ल्यप् प्रत्यय लगा कर एक वाक्य बनाया जा सकता है।
- हम क्त्वा – ल्यप् इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग के बारे में जानने का प्रयत्न करते हैं। यहाँ एक प्रश्न आपके मन में आ सकता है कि यहाँ इन दोनों प्रत्ययों का काम तो एक ही है।
- तथापि एक काम करने के लिए दोनों प्रत्ययों का क्या प्रयोजन हो सकता है? इसके लिए हमें इन दोनों प्रत्ययों में अन्तर समझना पड़ेगा।
- यहाँ दो प्रत्यय हैं। १) क्त्वा २) ल्यप् इन दोनों का कार्य समान है। तथापि कार्यक्षेत्र भिन्न है।
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