प्रश्न 4 निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दें।
1-लोहार ,मोची, कुम्हार क्या क्या काम चीजे बनाते है ?
2- रेगिस्तान के इलाके में पेड़ पोधे कम क्यों होते है ?
3- बोर्डिंग स्कूल तथा दूसरे स्कूल किन किन चीजों में भिन्न होते है ?
Answers
Explanation:
रेगिस्तान वनस्पतियों के लिए रुचिकर प्राकृतिक वास नहीं होते हैं यहां का तेज प्रकाश तथा उच्च तापमान पौधों के पनपने के लिए उत्साहवर्धक नहीं होता है। सूर्य की प्रखर किरणें पौधों में उपस्थित रंगीन पदार्थों (पिगमेंट) को नष्ट करती हैं जबकि उच्च तापमान पौधों में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करता है, इसके अलावा जल की कमी तो सबसे अधिक कष्टकारक होती है। वाष्पीकरण अत्यधिक होने के कारण रेगिस्तान में पाए जाने वाले पेड़-पौधों के लिए जल का भंडारण तथा उसका उपयोग करना विशेष समस्या होती है।
रेगिस्तान में प्राकृतिक वास करने वाले पौधों को जीरोफाइट्स यानी शुष्क भूमि के पौधे कहते हैं। रेगिस्तानी वनस्पतियों का वर्गीकरण तीन मुख्य अनुकूलन प्रवृत्ति के आधार पर गूदेदार, सूखा सहनशील और सूखे से बचाव के आधार पर किया गया है। इनमें से प्रत्येक भिन्न अनुकूलन के लिए प्रभावी हैं। कुछ परिस्थितियों में अन्य वनस्पतियां नष्ट हो जाती हैं लेकिन इन गुणों को अपनाकर रेगिस्तानी वनस्पतियां अच्छे से पनपती हैं।
रेगिस्तानी वनस्पतियों को कठिन परिस्थितियों में भी जीवन यापन के आधार पर तीन वर्गों इवेर्डस, ऐवार्डस तथा सहनशील वनस्पतियों में बांटा गया है।
इवेर्डस
इवेर्डसइवेर्डस सूखे के दौरान बीज की अवस्था मे जीवित रहते हैं और वर्षा होने के साथ अंकुरित होते हैं फिर पौधे का रूप धारण कर जल्द ही वृद्धि कर बीज बनते हैं और शीध ही उनके पौधे रूपी जीवन का अंत भी हो जाता है। पौधे के मृत हो जाने पर इसके बीज वर्षा होने पर फिर से अंकुरित होने को तैयार रहते हैं। इनको अल्पकालिक (इफेम्रलस) भी कहते हैं। कभी-कभी ये कुछ ही दिन जीवित रहते है। इनके बीज या कंद मिट्टी में वर्षों तक सुषुप्त अवस्था में रहते हैं और तब कभी बारिश होती है तब वे अंकुरित होकर वृद्धि करते हैं।
ऐवार्डस
ऐवार्डस जल की हानि रोकने के लिए एक विशेष आवरण की रचना कर लेते हैं। सहनशील पौधे (पैरिनियल अथवा स्थायी पौधे) रेगिस्तान में जीवित रह सकने में समर्थ होते हैं। उदाहरण के लिए गूदेदार पौधे और नागफनी वनस्पतियां अपनी विशिष्ट कोशिकाओं जिन्हें रसधानी भी कहा जाता है, में पानी को भंडारित कर सकते हैं। कुछ रेगिस्तानी वनस्पतियां बहुत ही कम जल उपलब्धकता में भी जीवित रह सकती हैं। इन वनस्पतियों की कोशिकाओं में न के बराबर क्षति होती है जिससे पानी की आपूर्ति होने पर ये पुनः फलने-फूलने लगती हैं।
सहनशीलता
सूखा प्रतिरोधी गुण वनस्पतियों के अकाल में भी बिना सूखे जीवित रहने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। इस वर्ग की वनस्पतियां सूखे में अपनी पत्तियां गिरा कर लंबे समय के लिए प्रसुप्त अवस्था में चली जाती हैं। पौधों में जल की अधिकतर हानि पत्तियों की सतह से होने वाले प्रस्वेदन या वाष्पोत्सर्जन से होती है। इसलिए पत्तियों के झड़ जाने से तनों में जल संग्रहित हो जाता है। कुछ ऐसे पौधे जिनकी पत्तियों में रेजिनी आवरण होने से जलहानि नहीं होती, उनमें पत्तियां नहीं झड़ती हैं। रेगिस्तानी पौधों में आर्द्र स्थलों में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में अधिक गहराई से पानी सोखने के लिए जड़ें अधिक फैली हुई होती हैं।
रेगिस्तान के अधिकतर पौधे सूखे और लवणता के प्रति सहनशील होते हैं। लाइकेन (शैवाल और फफूंद के मिले-जुले गुणों वाला) जैसे पौधों को पुनःप्रकरित (रिसुरेक्शन) पौधे कहते हैं। ये पौधे पानी की अनुपलब्धता में सूखे और मृत से प्रतीत होते हैं लेकिन पानी मिलते ही पुनः जीवन्त हो उठते हैं।
कीनोपोडिसी परिवार के पौधे उच्च लवणता में भी जीवित रह सकते हैं। ऐसे पौधों को लवणमृदोद्भिद (हेलोफायटस) कहते हैं। कीनोपोडिएसी परिवार की ऐट्रिप्लेक्स प्रजाति, जिन्हें लवणझाड़ी (साल्ट बु्रश) कहते हैं, में भी लवणीय मृदा में पनपने की अद्भुत गुण होता है।
अनुकूलन
नागफनी (केक्टस) रेगिस्तान की पर्याय वनस्पति बन गई है। लेकिन इसके अलावा यहां अन्य प्रकार के पौधे भी हैं जिन्होंने शुष्क वातावरण में पनपने में सिद्धता हासिल की है। गैरनागफनी परिवार के अन्य पौधों में मटर और सूरजमुखी परिवार आते हैं। ठंडे रेगिस्तान में घास और झाडि़यों की अधिकता होती है। रेगिस्तानी पौधे एक-दूसरे से संबंधित जीवन के लिए निम्नांकित दो मुख्य आवश्यक अनुकूलन दर्शाते हैं:
• जल संग्रह और भंडारण की योग्यता
• जल हानि को कम करने का गुण
रेगिस्तान के पौधों को विषम परिस्थतियों में अपने को अनुकूल बनाना होता है। इस अनुकूलन की क्रिया में पेड़-पौधों को लाखों वर्षों का समय लगा है। पेड़-पौधों को रेगिस्तान में जीवित रहने हेतु अपने को अनुकूल बनाने की प्रक्रिया तीन प्रकार की होती हैः मारफोलॉजिक्ल यानि आकृति मूलक, एनाटॉमिकल यानि संरचनात्मक तथा फिजियोलॉजिकल यानि जीवित अवस्था में पौधों की कार्य प्रणाली से संबंधित।
Explanation:
लोहार ,मोची, कुम्हार क्या क्या काम चीजे बनाते है ?