प्रश्न 4. निम्नलिखित पक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए. 'क़ानून की किसी किताब में डायन का अस्तित्व नहीं चिकित्साशास्त्र में इसका उल्लेख नहीं अंधविश्वासों ने बना रखा है इसे समाज से इस शब्द को बहिष्कृत कर देना है अपनी सोच को परिष्कृत कर देना है।'
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this is not a question u tyle paragraph
by the way thx for the points....
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Answer:
एक औरत कभी डायन नहीं हो सकती वह माँ है, पत्नी है, किसी की बेटी और बहन है। ये अंध विश्वास है मात्रा किस्मे कोई सच्चाई नहीं है और आज हम २१वी शताब्दी में रह रहे है जहा पर इन बातों का कोई मूल्य नहीं हैं।
Explanation:
हमारे किसी भी धर्म में ऐसा कोई वर्णन नहीं है वल्कि धर्म तो मानव सेवा' है और सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
धर्म एक रहस्य है जिसका अर्थ अनेक रूप में लिया जाता है। कभी-कभी हम धर्म को अनुष्ठान मान लेते हैं,
- धार्मिक आडंबर ,धार्मिक अनुष्ठान एवं धार्मिक कार्य से ऊपर उठने पर भी धर्म का रूप समाप्त नहीं होता है, जो विद्वान धर्म के मर्म को समझ पाया उसे हर कार्य में धर्म नजर आया।
- दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के धर्म का हम पालन करते हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी का धर्म अध्ययन होता है तो गुरु का धर्म अध्यापन। गृहस्थ जीवन में पति का धर्म ,भाई का धर्म, पिता का धर्म, देश के लिए कर्तव्य भी धर्म ही है।
- स्त्रियों के लिए मातृ धर्म, पत्नीधर्म , बहन होने का धर्म एवं सबसे बड़ा धर्म सृष्टि का ,जो किसी स्त्री के सुखों का त्याग के बिना संभव नहीं है और अंत में सबसे बड़ा धर्म मानव धर्म।
- जीवन के प्रत्येक धर्म को मानने के लिए एवं उसे पूरा करने के लिए हमें सही आचरण करना पड़ता है। जिस समय जैसी परिस्थितियां है, उसका सामना करते हुए अपने नैतिक धर्म एवं मानव धर्म का पालन आचरण के अनुसार यदि करते हैं तो वह किसी अनुष्ठान से कम नहीं होता।
- बस एक संकल्प की आवश्यकता होती है कि हम जिस कार्य का जिम्मा लिया है उसे अपनी अंतरात्मा से धर्म मान कर ईमानदारी से पूरा करें। इस आचरण से बड़ा कोई धार्मिक अनुष्ठान हो नहीं सकता।
अर्थात एक औरत कभी डायन नहीं हो सकती।
अधिक जानकारी के लिए:
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