Hindi, asked by dass34293, 7 months ago

प्रश्न 4. समास की परिभाषा दीजिए तथा उनके प्रकारों को उदाहरण सहित समझाइए।​

Answers

Answered by anitasingh30052
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Answer:

समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे – ‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं। संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है।

समास के भेद :

1. अव्ययीभाव समास

2. तत्पुरुष समास

3. कर्मधारय समास

4. द्विगु समास

5. द्वंद्व समास

6. बहुब्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास क्या होता है :- इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है।

जैसे :-

यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार

यथाक्रम = क्रम के अनुसार

यथानियम = नियम के अनुसार

प्रतिदिन = प्रत्येक दिन

2. . तत्पुरुष समास क्या होता है :- इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुदा समास होता है। इसमें ज्ञातव्य-विग्रह में जो कारक प्रकट होता है उसी कारक वाला वो समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

जैसे :-

देश के लिए भक्ति = देशभक्ति

राजा का पुत्र = राजपुत्र

विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-

1. कर्म तत्पुरुष समास

2. करण तत्पुरुष समास

3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास

4. अपादान तत्पुरुष समास

5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास

6. अधिकरण तत्पुरुष समास

3. कर्मधारय समास क्या होता है :- इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।

जैसे :-

चरणकमल = कमल के समान चरण

नीलगगन = नीला है जो गगन

चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख

पीताम्बर = पीत है जो अम्बर

4. द्विगु समास क्या होता है :- द्विगु समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है किसी अर्थ को नहीं। इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं।

जैसे :-

नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह

दोपहर = दो पहरों का समाहार

त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह

पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह

5. द्वंद्व समास क्या होता है :- इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

जैसे :-

जलवायु = जल और वायु

अपना-पराया = अपना या पराया

पाप-पुण्य = पाप और पुण्य

राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण

6. बहुब्रीहि समास क्या होता है :- इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला , है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।

जैसे :-

गजानन = गज का आनन है जिसका (गणेश)

त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके (शिव)

नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)

लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)

दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)

Explanation:

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