प्रश्न 5.
मूल अधिकार व्यक्ति के लिए क्यों आवश्यक हैं?
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मूल अधिकार व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं क्योंकि:-
- संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारों का विवरण है। इस संबंध में संविधान निर्माता अमेरिकी संविधान (यानि अधिकार के विधेयक से) से प्रभावित रहे।
- संविधान के भाग 3 को भारत का मैग्नाकार्टा" की संज्ञा दी गयी है, जो सर्वथा उचित है। इसमें एक लंबी एवं विस्तृत सूची में 'न्यायोचित' मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है। वास्तव में मूल अधिकारों के संबंध में जितना विस्तृत विवरण हमारे संविधानमें प्राप्त होता है, उतना विश्व के किसी देश में नहीं मिलता; चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो।
- संविधान द्वारा बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति के लिए मूल अधिकारों के संबंध में गारंटी दी गई है। इनमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए समानता, सम्मान, राष्ट्रहित और राष्ट्रीय एकता को समाहित किया गया है।
- मूल अधिकारों का तात्पर्य राजनीतिक लोकतंत्र के आदर्शों 1. की उन्नति से है। ये अधिकार देश में व्यवस्था बनाए रखने एवं सं राज्य के कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों की आज़ादी की असुरक्षा करते हैं ये विधानमंडल के कानून के क्रियान्वयन पर तानाशाही को मर्यादित करते हैं। संक्षेप में इनके प्रावधानों का उद्देश्य कानून की सरकार बनाना है न कि व्यक्तियों की।
- मूल अधिकारों को यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इन्हें संविधान द्वारा गारंटी एवं सुरक्षा प्रदान की गई है, जो राष्ट्र कानून का मूल सिद्धांत है। ये 'मूल' इसलिए भी हैं क्योंकि ये व्यक्ति के चहुंमुखी विकास (भौतिक, बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक के लिए आवश्यक हैं।
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@GauravSaxena01
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