Hindi, asked by sidhant1khatri, 5 months ago


प्रश्न 5. निम्नलिखित पंक्तियों में रस तथा उसका स्थायी भाव लिखे ।
1. रे नृप बालक कालबस बोलत तोहि न सँभार |.
धनुही सम त्रिपुरारि धनु विदित सफल संसार ||
T
2. राम का रूप निहारत जानकी कगंन के नग में परछाँही ।
याति सबै सुधि भूलि गई कर हेकि रही पल टारत नाँही ||
3. वीर रस की एक कविता लिखे । Sweta Singh please answer do​

Answers

Answered by shishir303
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प्रश्न में दी गयी काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त रस और उसका स्थायी भाव इस प्रकार है....

रे नृप बालक कालबस बोलत तोहि न सँभार |.

धनुही सम त्रिपुरारि धनु विदित सफल संसार ||

रस :— रौद्र रस

स्थायी भाव :— क्रोध

स्पष्टीकरण :—  ऊपर दी गई काव्य की पंक्तियों में रौद्र रस प्रकट हो रहा है। रौद्र रस की परिभाषा के अनुसार जब किसी शत्रु द्वारा या किसी अन्याय अथवा अत्याचार के कारण या अपने किसी प्रियजन की निंदा सुन कर जब चित्त में एक प्रकार का क्रोध उत्पन्न हो, क्षोभ उत्पन्न हो या आक्रोश उत्पन्न हो तो वहाँ पर ‘रौद्र रस’ की उत्पत्ति होती है। रौद्र रस का स्थाई भाव ‘क्रोध’ होता है।

राम का रूप निहारत जानकी कगंन के नग में परछाँही ।

याति सबै सुधि भूलि गई कर हेकि रही पल टारत नाँही ||

रस :— संयोग श्रंगार रस

स्थायी भाव :— रति

स्पष्टीकरण :— उपरोक्त काव्य पंक्तियों में ‘संयोग श्रृंगार रस‘ प्रकट हो रहा है, जो कि ‘श्रंगार रस’ का ही एक रूप है। ‘शृंगार रस’ की परिभाषा में के अनुसार जब नायक और नायिका के परस्पर प्रेम में संयोग या व वियोग का वर्णन हो, तो वहाँ पर ‘श्रंगार रस’ की उत्पत्ति होती है। श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं, संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार। श्रृंगार रस का स्थाई भाव ‘रति’ होता है।

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राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं । याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं । भावार्थ

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रे नृप बालक कालबस बोलत तोहि न संभार |

धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार || भावार्थ

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