प्रश्न 5.
पंचायती राज व्यवस्था में मध्यस्तरीय संस्था है
(अ) पंचायत समिति
(ब) ग्राम सभा
(स) जिला परिषद्
(द) ग्राम पंचायत
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Answer:
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इस प्रश्न का सही उत्तर है, विकल्प...
(अ) पंचायत समिति
पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत आने वाली त्रिस्तरीय संरचना का बीच का अर्थात मध्यवर्ती चरण पंचायत समिति कहलाता है। प्रत्येक पंचायत समिति की संरचना इस प्रकार होती है।
पंचायत समिति को निर्वाचन क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। एक लाख की जनसंख्या वाले पंचायती समिति क्षेत्र में 15 निर्वाचन क्षेत्र होते हैं। हर निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा चुना जाता है। जहां क्षेत्र की जनसंख्या 100000 से अधिक है वहां पर प्रत्येक 15000 पर या उसके किसी भाग पर दो-दो सदस्य भी निर्वाचित होते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों के अलावा पंचायत क्षेत्र के विधायक एवं सरपंच पंचायत समिति के सदस्य होते हैं। यह सदस्य प्रधान व उपप्रधान के चुनावों को छोड़कर बैठक में अपना मत प्रदान कर सकते हैं। पंचायत समिति के जो सदस्य चुने जाते हैं, वो प्रधान व उप प्रधान का चुनाव करते हैं। पंचायत समिति में विशेष वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी होती है।
पंचायत समिति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
पंचायत समिति द्वारा संपादित कार्य प्रकार हैं...
- पंचायत समिति राज्य व जिला परिषद द्वारा अनुमोदित योजनाओं के संबंध में वार्षिक योजनाएं तैयार करती है।
- पंचायत समिति क्षेत्र की सभी पंचायतों की वार्षिक योजनाओं पर विचार करके उन्हें समेकित करती है।
- जिला परिषद द्वारा जो कार्य पंचायत समिति को सौंपी जाती हैं उनको पूरा करने का उत्तरदायित्व पंचायत समिति का होता है।
- पंचायत समिति वार्षिक बजट भी तैयार करती है।
- पंचायत समिति प्राकृतिक आपदा के समय सहायता उपलब्ध कराती है
- पंचायत समिति सिंचाई कार्य व पेयजल संबंधी जैसे कार्यों के प्रबंधन और रखरखाव का कार्य करती है।
- पंचायत समिति का काम समाज के कल्याण हेतु उचित कार्यक्रमों को संपादन करना है। जैसे गरीबी उन्मूलन, रोजगार, मनरेगा, ग्रामीण विकास, युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण, जनजाति क्षेत्र विकास, अनुसूचित जाति विकास निगम जैसे योजनाओं का संचालन करना पंचायत समिति का उत्तरदायित्व है
- पंचायत समिति कृषि और बागवानी के विकास के लिए उचित कदम उठाती है।
- पंचायत समिति का कार्य प्राथमिक विद्यालय का की निर्माण करना और उनकी देखरेख करना, शिक्षा को बढ़ावा देना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना व्यवसाय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना करना और उनका विकास करना आदि है।
- पंचायत समिति का कार्य पशुपालन, डेयरी जैसे पारंपरिक ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देना भी है।