प्रश्न 6.
उदयपुर की ऐतिहासिक जल प्रबन्धन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
Answers
उदयपुर की ऐतिहासिक जल प्रबंधन प्रणाली प्राचीन भारत के जल प्रबंधन का एक उत्तम उदाहरण है। उदयपुर जल प्रबंधन प्रणाली में बड़े-बड़े जलाशय सिंचाई पेयजल एवं पर्यटन हेतु बनाए जाते थे। उदयपुर के पश्चिमोत्तर दिशा में लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिकलवास गांव के पास महाराणा फतेह सिंह जी द्वारा आहड़ नदी पर बांध बनाकर वर्षा ऋतु के जल को फतेहसागर तक पहुंचाने के लिए चिकलवास नहर मनाई गई थी। इस नहर के बनाने से फतेहसागर में आहड़ नदी का पानी आज से लगभग 118 वर्ष ही पहुंचा दिया गया था जोकि प्राचीन भारत की उत्तम जल व्यवस्था को दर्शाता है।
लगभग 470 वर्ग किलोमीटर में फैली घाटी में क्रमबद्ध जलाशयों का निर्माण बड़े व्यवस्थित ढंग से किया गया है और नदियों को आपस में जोड़ कर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध वर्षा के जल का संरक्षण बड़ी कुशलता से किया गया। क्योंकि जनहित में किया गया प्रशंसनीय कार्य था और जिस का प्रचलन आज भी सुचारू रूप से चल रहा है।
उदयपुर बेसिन में दूध तलाई, पिछोला झील, गोवर्धन सागर, उमरिया तालाब, अमर कुंड, स्वरूप सागर, रंग सागर तथा फतेहसागर जलाशयों का निर्माण करना जल प्रबंधन का पूरे संसार में सबसे बेहतरीन उदाहरण है। वर्षा ऋतु में जब सारे जलाशयों में पानी भर जाता था तो इन सभी जलाशयों का जल स्तर एक समान हो जाता था तथा सभी जलाशयों का पानी आपस में मिल जाता था। महाराणा राज सिंह जी ने पहली बार नदी के बहाव को कृत्रिम रूप से मोड़कर जल को स्थिरता प्रदान की। उभयेश्वर क्षेत्र में बर्षा ऋतु में बहने वाली नदी में का बहाव मोड़कर मोरवानी नदी में मिलाकर उस जल को जनसागर तथा फतेहसागर तक पहुँचा दिय़ा गया। जोकि आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व लगभग 1670-85 ईस्वी मे्ं किया गया था।
अतः हम कह सकते हैं कि उदयपुर की जल प्रबंधन प्रणाली पूरे विश्व में बेहतरीन और प्रसिद्ध थी।