प्रश्न 8. घनानंद सुजान को क्या उलाहना देते हैं ?
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कवि घनानन्द अपनी प्रेयसी सुजान के रूखेपन से व्याकुल हो उसे उलाहना देते हुए कहते हैं कि पहले तो तुमने मेरे मन (हृदय) को ले लिया (चुरा लिया) और अब हँसकर मेरा और मेरे प्रेम का मजाक बनाती हो। तुम अपने नेत्रों को टेढ़ा करके तथा प्रेम का प्रतिदान न करके उसे अस्वीकार करती हो।
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कवि घनानन्द अपनी प्रेयसी सुजान के रूखेपन से व्याकुल हो उसे उलाहना देते हुए कहते हैं कि पहले तो तुमने मेरे मन (हृदय) को ले लिया (चुरा लिया) और अब हँसकर मेरा और मेरे प्रेम का मजाक बनाती हो। तुम अपने नेत्रों को टेढ़ा करके तथा प्रेम का प्रतिदान न करके उसे अस्वीकार करती हो।
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