प्रश्न 9.
1857 की क्रान्ति के कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख कारणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
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सन 1857 में हुई भारत की स्वाधीनता की प्रथम क्रांति के कारण अनेक थे, उनमें से कुछ कारणों का विवेचन निम्नानुसार है...
राजनीतिक कारण —
- अंग्रेजों की नीति साम्राज्यवादी थी, अंग्रेज अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे थे और अनेक रियासतों पर अपना आधिपत्य हासिल करने की कोशिश कर रहे थे, जिससे भारतीय रियासतों के शासकों में तीव्र असंतोष उत्पन्न हो रहा था।
- अंग्रेजों ने मुगल सम्राट के प्रति अपमानजनक व्यवहार किया था, इस कारण मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया था।
- अंग्रेजों ने मराठा पेशवा नानासाहेब का साम्राज्य छीनकर उन्हें पेंशन पर निर्भर कर दिया और बाद में उनकी पेंशन भी बंद कर दी, जिससे जनता में आक्रोश उत्पन्न हुआ क्योंकि उनके मन में नाना साहब के प्रति सम्मान था।
- भारतीय शासकों के आंतरिक मामलों में अंग्रेजों द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप भी भारतीय शासकों में असंतोष का कारण बना।
सामाजिक कारण —
- अंग्रेज सदैव भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार करते थे। भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार से भारतीयों के मन में अंग्रेजों के प्रति घृणा का भाव उत्पन्न हो गया था।
- अंग्रेज भारतीय रीति रिवाज और संस्कृति का मजाक उड़ाते थे। ये भारतीयो को बेहद नागवार गुजरता था।
- अंग्रेज किसी भी भारतीय को किसी उच्च सरकारी पद पर नियुक्त नहीं करते थे। जिससे भारतीयों के मन में अंग्रेजों के प्रति नाराजगी थी।
धार्मिक कारण —
- अंग्रेजों ने ईसाई धर्म प्रचारकों को ईसाई धर्म के प्रचार के लिए इंग्लैंड से बुलाया और वह ईसाई धर्म के प्रचार में लग गए थे। अंग्रेजों ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए प्रचारकों को तरह तरह के प्रोत्साहन दिए।
- जेल में जो कैदी बंद होते थे उन्हें ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाता था या फिर उन्हें प्रलोभन दिया जाता कि यदि वो ईसाई धर्म स्वीकार कर लेंगे तो उनकी सजा कम हो जायेगी। इसके अतिरिक्त शोषित, वंचित लोगों को तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते थे ताकि वह ईसाई धर्म स्वीकार कर लें।
- इसके अतिरिक्त जनता में यह प्रलोभन दिया जाता कि जो ईसाई धर्म अपनायेगा उसे सरकारी नौकरी में उच्च पद मिलेगा।
- स्कूलों में भी ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार खुलेआम कर दिया गया था और अनेक ईसाई मिशनरियों को स्थापित किया गया।
- अंग्रेज भारत की प्राचीन संस्कृति और देवी देवताओं तथा पूजा विधि का मजाक उड़ाते थे जिससे भारतीयों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती थी।
आर्थिक कारण —
- अंग्रेजों ने भारतीयों का बहुत ही ज्यादा आर्थिक शोषण कर दिया था जिसके कारण भारत की जनता तंगहाली की स्थिति में आ गई थी और कृषि, उद्योग तथा व्यापार सब कुछ चौपट हो गया था।
- जब अंग्रेज भारत में आए तो उससे पहले बंगाल एक समृद्ध परंतु अंग्रेजों ने बंगाल को लूट कर इस स्थिति में ला दिया था कि वहां भुखमरी, अकाल अधिक हो गया था। चारो तरफ निर्धनता ही निर्धनता थी।
- अंग्रेजों ने किसानों से अत्याधिक भू-राजस्व वसूला और जमीदारों को भी लगान देने के कारण उनकी जमींदारी छीन ली। इस कारण इन सब लोगों में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था।
- अंग्रेज इंग्लैंड में बने माल को भारत में बेचने के लिए ज्यादा उत्सुक थे। इसके लिए उन्होंने भारत में बनी वस्तुओं पर भारी का लगाना शुरू कर दिया जिससे भारत के देसी उद्योग धंधे चौपट हो गये।
- राजस्थान में अंग्रेजों ने शासकों से भारी मात्रा में खराज वसूलना शुरू कर दिया था और राजस्थान के आर्थिक संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने लगे थे। अंग्रेजों ने अफीम और नमक के व्यापार पर भी अपना अधिकार जमा लिया। उन्होंने नमक पर भारी मात्रा में कर लगा दिया और नमक से भारी मुनाफा कमाया। इससे राजपूताना के बहुत सारे उद्योग-धंधे चौपट हो गए।
सैनिक कारण —
- 1956 में अवध प्रांत को अंग्रेजों ने ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया, जिससे बंगाल की सेना में तीव्र आक्रोश व्याप्त हो गया, क्योंकि बंगाल की सेना के अधिकतर सैनिक अवध प्रांत से ही थे। इससे उनके मन में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की भावना पनपी।
- अंग्रेजों की सेना में जो भारतीय सैनिक थे वह अपनी भारतीय परंपराओं के अनुसार रहन-सहन अपनाते थे। इसमें दाढ़ी-मूछें आदि रखना, पगड़ी-साफ आदि पहनना आदि शामिल थे। अंग्रेजों ने इन सभी परंपराओं पर पाबंदियां लगा दीं। जिससे सैनिकों ने इसे अपना घोर अपमान समझा और उनके मन में अंग्रेजों के प्रति तीव्र आक्रोश व्याप्त हो गया।
- अंग्रेज भारतीय सैनिकों को बहुत कम वेतन देते थे और भारतीय सैनिकों को अपनी वर्दी का खर्चा भी स्वयं ही वहन करना पड़ता था। जबकि ब्रिटिश सैनिकों को बहुत सी अधिक सुविधाएं उपलब्ध थीं। इस भेदभाव के कारण भी भारतीय सैनिकों के मन में तीव्र असंतोष व्याप्त था।
- कारतूसों पर गाय और शूकर की चर्बी से भी हिंदू-मुसलमान दोनों समुदायों की धार्मिक भावनायें आहत हुईं थी।
इस प्रकार हम देखते हैं कि यह अनेक कारण थे जिनके कारण भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम ने जन्म लिया।
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