प्रश्न 9] खालीलपैकी कोणत्याही एका विषयावर निबंध लिहा.
1) भ्रष्टाचार एक रोग 2) माझ्या आठवणीतील शाळा
3) जाणता राजा
छत्रपती शिवाजी महाराज
Answers
Answer:
शालेय जीवन हा आपल्या जीवनाचा एक अद्भुत काळ आहे. शिक्षण घेण्याव्यतिरिक्त, शालेय वातावरणासह विद्यार्थी बर्याच गोष्टी शिकतात; धैर्य, प्रामाणिकपणा, प्रामाणिकपणा, मैत्री, शिस्त इ. शाळा खरोखरच आपल्या अनुभवांचे अविस्मरणीय खाते आहे. प्रत्येकाच्या जीवनातील भाग आणि भाग आहेत. माणसाला नेहमीचे चांगले दिवस आठवले. आयुष्यात काही चांगल्या आठवणी आणि काही वाईट आठवणी असतात. चांगल्या आठवणी म्हणजे एखाद्याच्या आयुष्यात चांगला अनुभव येतो. चांगल्या आठवणींमध्ये समाविष्ट आहे; प्राथमिक, हायस्कूल, महाविद्यालय आणि विद्यापीठाच्या आयुष्याच्या आठवणींसह शालेय जीवनातील आठवणी.
शालेय जीवन हे सर्वोत्तम जीवन आहे. एक विद्यार्थी, जो विद्यार्थी आहे, त्याला शालेय जीवन म्हणजे काय हे माहित असते. शालेय जीवन हा शिक्षणाचा सुवर्णकाळ आहे. याचा खरोखर विद्यार्थ्यांच्या जीवनावर परिणाम होतो. शालेय जीवनाचे महत्त्व कधीही नाकारता येत नाही. शालेय जीवन मुलांसाठी तसेच प्रौढ विद्यार्थ्यांसाठी देखील महत्वाचे आहे.
आम्हाला शिकण्याचा चांगला अनुभव, आत्मविश्वास, प्रेरणा आणि सर्वोत्कृष्ट करण्याची इच्छाशक्ती मिळते. हे शालेय जीवन आहे जे आपल्या संपूर्ण आयुष्यातील सर्वोत्तम मित्रांना आशीर्वाद देते.
शालेय जीवनाचे मित्र आयुष्यभर आपल्या जुन्या आणि प्रामाणिक मित्रांसारखे असतात. शाळेचे दिवस आमच्या आयुष्यातील सर्वोत्तम दिवस आहेत. माझ्याकडे शालेय जीवनातील सर्वोत्कृष्ट आठवणी आहेत. ते माझ्यासाठी खजिन्यासारखे आहेत. शालेय जीवनातील आनंद अमूल्य आहेत.
Explanation:
भ्रष्टाचार एक रोग
प्रस्तावना : भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।
जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़े फैला रहा है। आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं जो भ्रष्टाचारी है। आज पूरी दुनिया में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना आदि। भ्रष्टाचार के कई कारण है। जानिए...
भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार ही है।
भ्रष्टाचार के कारण :
* असंतोष - जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।
* स्वार्थ और असमानता : असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।
* भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार : भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
जीवन का कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से मुक्त नहीं है। यदि हम इस वर्ष की ही बात करें तो ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो कि भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। जैसे आईपील में खिलाड़ियों की स्पॉट फिक्सिंग, नौकरियों में अच्छी पोस्ट पाने की लालसा में कई लोग रिश्वत देने से भी नहीं चूकते हैं। आज भारत का हर तबका इस बीमारी से ग्रस्त है।
* भ्रष्टाचार रोकने के उपाय : यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही छूट जाता है।
जब तक इस अपराध के लिए को कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे।
* उपसंहार : भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का नाम बदनाम कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार विरोधी दिवस : दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ही 9 दिसंबर को 'अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस' मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर 'अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस' मनाए जाने की घोषणा की। भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ घटना कही जा सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या है।