प्रश्न ५. (अ) निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखिए और उसे उचित शीर्षक दीजिए :- (०६)
एक कंजूस के पास काफी सोने की अशरफियो - बक्से में भरकर खेत में गाड़ देना - रोज रात के
समय गिनना - चोर का देख लेना - अशरफियों के बदले पत्थर भर देना - दूसरे दिन कंजूस का रोना -
एक बूढे की सलाह, “ अब पत्थर गिन लेना ' - सीख ।
Answers
✬ उत्तर ✬
➟ शिर्षक - कंजूस धनीचन्द और चोर।
◆ किसी नगर में धनीचन्द नाम का एक बहुत ही कंजूस व्यक्ति रहता था। उसे अपने पैसो से अपार प्रेम था। एक पैसा खर्च करने में उसकी नानी याद आ जाती थी। एक बार की बात है उसे कही से सोने की कुछ अशर्फियाँ प्राप्त हुई । वह उन्हें सम्भाल कर अपने घर ले आया , परन्तु उसको अब यह डर सताने लगा कि कही उसके आस - पास (पड़ोस) के लोग उसके घर मे न रहते वक्त उसकी सोने की अशर्फियाँ न चुरा लें।
ㅤㅤㅤㅤइसी चिंता में धनीचन्द रात भर सो नहीं पाया। सुबह उसने अपनी पत्नी को अपनी चिंता बताई तो वह उसे सलाह दी कि "क्यूँ ना आप इन सोने की सिक्कों को एक बक्से में भरकर नगर के सुनसान इलाके में जाकर गाड़ दें। कंजूस को यह राय पसंद आई और उसने ऐसा ही किया। परन्तु इसके वावजूद भी उसकी चिंता कम न हुई । अब वह सोचने लगा कि कहीं कोई उसके अशर्फियों को उस बक्से से चोरी न कर ले , तो यह चिंता के कारण वह रोज रात को उस स्थान पर जाने लगा जहां उसने बक्शा गाड़ा था और बक्से को निकाल कर रोज अपनी सोने की अशर्फियाँ गिनता था और फिर बक्से को उसी जगह गाड़ देता ।
एक दिन की बात है। रात में कंजूस अपने बक्से को निकालकर अशर्फियाँ गिन रहा था तभी पीछे झाड़ी में से एक चोर ने यह दृश्य देख लिया। इसके बाद चोर ने तय किया कि कंजूस के जाने के बाद वह उस बक्शे से सारी सोने की अशर्फियाँ निकाल कर अपने पास रख लेगा और बक्शे में अशर्फियों के बदले में पत्थर भर देगा। मौका पाकर चोर ने ऐसा ही किया और सारी सोने की अशर्फियाँ चुरा ले गया।
एक दो दिन बाद कंजूस वापस भोर में अपने बक्से को निकाल कर अशर्फियाँ गिनने बैठा तो उसने अशर्फियों के बदले बक्से में केवल पत्थर पाया। बेचारा वह फुट फुट कर रोने लगा। उजाला होने तक वही रोता ही रहा। सुबह में उसने यह सारी बात एक बूढ़े व्यक्ति को बताई तो उसने कहा कि यह सब तुम्हारी गलती और लालच का फल है अब सोने की अशर्फियाँ तो नही रही तो तुम उनके बदले अब पत्थर ही गिन लेना।
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- सिख - यह कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे अपने धन को अपनी जरूरत की चीज़ों में लगाना चाहिए ना की एक कंजूस की तरह उन्हें छिपा कर रखना चाहिए। पैसों को संभाल कर रखना भी अच्छी बात है , परन्तु लक्ष्मी चंचल होती है। वह कभी भी दूसरे के हाथ में जा सकती हैं।
Answer:
आवश्यक उत्तर ;-
लालच बुरी बला
एक बार की बात है, जैक नाम का एक अमीर व्यक्ति था।वह एक विदेशी था। वह अपनी समृद्धि पर गर्व महसूस करता है।उसे लगा कि उनके घर पर इनकम टैक्स के लोग छापा मारेंगे। उसने एक बॉक्स में पैसे छिपाने की योजना बनाई और उसे एक जंगल में रखा । अब, वह हर रात बॉक्स की जांच करने के लिए जाता है और जांचता है कि पैसा सुरक्षित है या नहीं।लेकिन एक दिन एक चोर आया और उसने सारा पैसा और सोना ले लिया। चोर धन की जगह पत्थर रख देता है।उस दिन के बाद एक बूढ़ा व्यक्ति कहता है कि अब पत्थरों को गिनो।अब वह बहुत परेशान था इसलिए उसने अपने देश वापस जाने का फैसला किया।
कहानी का सीख - लालच बुरी बला है।