प्रश्न- केदारनाथ अग्रवाल की पैतृक सम्पत्ति कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
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120
Explanation:
LCM 120
5-3-8
5-3-4
5-3-2
5-3-1
1-3-1
1-1-1
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केदारनाथ अग्रवाल की पैतृक सम्पत्ति इस कविता का मूल भाव
- इस कविता में पिता की मृत्यु के बाद एक पुत्र की व्यथा का वर्णन किया गया हैं ।
- पिता की मृत्यु के बाद कोई भी उन्हें याद नही करता बल्कि सबकी निगाहें उनकी संपत्ति पर होती है ।
- कविता की कुछ पंक्तियां जब बाप मरा तब यह पाया
- भूखे किसान के बेटे ने, घर का मलवा, टूटी खटिया,
- कुछ हाथ भूमि – वह भी परती । इससे आशय है कि किसान के भूखे बेटे को केवल एक छोटा सा घर, एक टूटी खटिया और भूमि का कुछ अंश ही मिलता हैं । जिसे इस समाज मे पैतृक सम्पत्ति कहते है ।
- इस कविता के माध्यम से कवि ने एक किसान की पैतृक सम्पत्ति और वर्तमान समय मे इस सम्पत्ति के लिए आये लालची परिवर्तन को समझाया है ।
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