प्रश्न:- निम्नलिखित अपठित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
(क) उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश’ का उल्लेख हुआ है?
(i) माता के
(ii) देश के
(iii) शत्रु के
(iv) इनमें से कोई नहीं
(ख) कवि के मतानुसार असत्य है
(i) स्थायी
(ii) व्रत
(iii) अभिशाप
(iv) अस्थायी
(ग) ‘रक्ति श्रृंगार’ का अर्थ है
(i) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना
(ii) रक्त बहाना
(iii) शत्रु का खून बहाना ।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
(घ) ‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है
(i) खून बहाकर आक्रमणकारी के पितरों का श्राद्ध करना
(ii) शत्रु का शोषण करना
(iii) दुखी होकर श्राद्ध करना
(iv) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना
(ङ) पद्यांश में ‘माता’ का प्रतीक है–
(i) देवी की
(ii) विश्वमैत्री की
(iii) सत्य-अहिंसा की
(iv) राष्ट्र (देश) की
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(क) उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश’ का उल्लेख हुआ है?
✔(i) माता के
➲ उपरोक्त पद्यांश में कवि ने माता के आवेश का उल्लेख किया है।
(ख) कवि के मतानुसार असत्य है
✔ (iv) अस्थायी
➲ कवि के अनुसार असत्य कभी टिकता नही है, ये अस्थायी होता है।
(ग) ‘रक्ति श्रृंगार’ का अर्थ है
✔ (iii) शत्रु का खून बहाना ।
➲ ‘रक्ति श्रंगार’ का अर्थ है, शत्रुओं का खून बहाना।
(घ) ‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है
✔ (iv) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना
➲ ‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है, वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना।
(ङ) पद्यांश में ‘माता’ का प्रतीक है–
✔ (iv) राष्ट्र (देश) की
➲ इस पद्यांश में ‘माता’ राष्ट्र (देश) का प्रतीक है।
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