प्रश्न १) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर कृतियां पूर्ण कीजिए।
गुन के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय ।
जैसे कागा-कोकिला, शब्द सुनै सब कोय ।।
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन ।
दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन ।।
कह गिरिधर कविराय, सुनौ हो ठाकुर मन के।
बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के ।।
देखा सब संसार में, मतलब का व्यवहार ।
जब लगि पैसा गाँठ में, तब लगि ता को यार ।।
तब लगि ता को यार, यार सँग ही सँग डोलै ।
पैसा रहा न पास, यार मुख से नहि , बोलै ।।
कह गिरिधर कविराय, जगत का ये ही लेखा।
करत बेगरजी प्रीति, मित्र कोई बिरला देखा ।।
(१)
१) पद्यांश में आए शब्द लिखिए।
१) कोई-
२) अपवित्र-
४) आकृति पूर्ण कीजिए।
१) कुंडली में बताया गया है महत्त्व-
२) इन दोनों का रंग एक जैसे है -
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