प्रश्न १- "दिन जल्दी-जल्दी ढलता
है" कविता किस संग्रह से ली गई
है? कविता का मूल भाव लिखिए।
Answers
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है" कविता किस संग्रह से ली गई है? कविता का मूल भाव लिखिए।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखी गई है| कवि ने कविता में समय बीत जाने के अहसास का वर्णन किया है| समय के साथ हमें लक्ष्य को प्राप्त कर लेना चाहिए| समय के हिसाब से चलने के लिए प्रेरणा दे रहा है|
मनुष्य के मन में चिन्ता हो रही है कि कहीं रास्ते में रात न हो जाए मतलब उसका रास्ते में उसे जीवन का अंत न हो जाए इसलिए उसे अपनी मंझिल में जल्दी पहुंचना है| इसी कारण वह जल्दी पहुंचना जाता है और अँधेरे से पहले अपनी मंझिल में पहुंचाना जाता है|
कवि पक्षियों के माध्यम से बताना चाहता है कि मादा पक्षी को भी अपने बच्चों चिन्ता करती है उसे जल्दी घर पहुंचना उसके बच्चे उसका इंतजार कर रहे है| यह सोच कर पक्षियों के पंखों मोर भी तेज़ी आ जाती है और वह देरी किए बिना अपने बच्चों के पास पहुंचने के लिए और तेज़ी से उड़ कर जाते है|
कवि कहते है कि मेरा इंतजार करने के लिए घर में कोई नहीं मैं किसके लिए जल्दी घर जाऊं | यही सोच कर कवि धीमे और उदास हो गए है और उन्होंने उसे कमज़ोर बना दिया है परंतु यह तो दिन है जो जल्दी से ढल रहा है और ढलता ही जाएगा| कवि कहते है की हमें हर काम समय के साथ-साथ करना चाहिए|
Explanation:
दिलजले ने किया बेटी से कविता ही कर दीजिए इसका संकेत करती है कि दिन भर अपने दायित्वों के निर्वहन तले दबे व्यक्ति को अपने अपनों के बारे में सोचने के लिए काट नहीं मिलता है किंतु जैसे से अपना साथ होता है उसे पता चलता है तो उसे लगने लगता है कि मानव समय के पंख लग गए हैं और अपनों से मिलने के लिए बहुत अधिक होता है अपनी मंजिलें अपनों से जल्द मिलने के डाटा से दिन जल्दी जल्दी ढलता है क्या अभिप्राय है