प्रश्न4 निम्नलिखित श्लोक का अर्थ लिखिए। एकेनापि सुधीरेण सोत्साहेन रणं प्रति। सोत्साहं जायते सैन्यं भग्ने भममवाप्नुयात् ।।
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एकेनापि सुधीरेण सोत्साहेन रणं प्रति |
सोत्साहं जायते सैन्यं भग्ने भङ्ग्मवाप्नुयात् || - महासुभषितसंग्रह
भावार्थ - यदि किसी सेना में एक भी व्यक्ति दृढ निश्चयी तथा
धैर्यवान हो और युद्ध जीतने के प्रति उसमें उत्साह और लगन हो तो
वह सेना में भी उत्साह और लगन जागृत कर देता है | और यदि
उत्साह और लगन नष्ट हो जाय तो उसके परिणाम स्वरूप युद्ध में
हार अवश्यम्भावी हो जाती है |
(इस सुभाषित में किसी सेनापति में नितान्त आवश्यक गुणों का
वर्णन कर इस बात पर जोर दिया है कि सही नेतृत्व वह तभी दे
सकता है जब् उसमें सेना को प्रोत्साहित करने की शक्ति हो |)
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