प्रतीकों की रचना में संस्कृति की भूमिका पर संक्षेप में चर्चा करें। उदाहरणों के साथ अपने उत्तर को स्पष्ट करें।
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प्रतीकों की रचना में संस्कृति की अहम भूमिका होती है। किसी भी संस्कृति में किए जाने वाले कर्मकांड उस संस्कृति के प्रतीक बन जाते हैं। जैसे मंगलसूत्र पहने स्त्री हिंदू धर्म में विवाहित होने का सूचक है तो हिंदू धर्म में ही अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पगड़ी पहनने का रिवाज है, जो उनके समुदाय विशेष की पहचान कराती है या उनकी धार्मिक पहचान कराती है। राजस्थान में पहनी जाने वाली पगड़ी समुदाय विशेष की पहचान कराती है तो सिखों द्वारा बांधी जाने वाले पगड़ी उनकी धार्मिक पहचान को सुनिश्चित करती है।
किसी भी संस्कृति में निभाई जाने वाले रीति रिवाज उस संस्कृति के प्रतीक बन जाते हैं। जैसे स्वास्तिक हिंदु संस्कृति का प्रतीक है, तो चांद-तारे मुस्लिम संस्कृति का प्रतीक हैं। यह भी एक तरह की ग्राफिक डिजाइन है जो किसी संस्कृति के विकास के क्रम में प्रतीक बनकर प्रतिष्ठित हुए हैं।
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पाठ - 4 : “स्वदेशी ग्राफिक डिजायन और संस्कृति”
विषय : ग्राफिक डिजायन - एक कहानी (इकाई-II : ग्राफिक डिजायन और समाज) [कक्षा - 11]
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