Chemistry, asked by uiui8334, 10 months ago

प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए निम्नलिखित में उपसहसंयोजन यौगिकों की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए-
(i) जैव प्रणालियाँ (iii) विश्लेषणात्मक रसायन
(ii) औषध रसायन (iv) धातुओं का निष्कर्षण/धातु कर्म।

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Answered by Anonymous
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Answer:

1. जैव प्रणालियाँ (Biological Systems) – उपसहसंयोजन यौगिक जैव तन्त्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। प्रकाश संश्लेषण के लिए उत्तरदायी वर्णक, क्लोरोफिल, मैग्नीशियम का उपसहसंयोजन यौगिक हैं। रक्त का लाल वर्णक हीमोग्लोबिन, जो कि ऑक्सीजन का वाहक है, आयरन का एक उपसहसंयोजन यौगिक है। विटामिन B12 सायनोकोबालऐमीन, प्रतिप्रणाली अरक्तता कारक (antipernicious anaemia factor), कोबाल्ट का एक उपसहसंयोजन यौगिक है। जैविक महत्त्व के अन्य धातु आयन युक्त उपसहसंयोजन यौगिक; जैसे- कार्बोक्सीपेप्टिडेज-A (carboxypeptidase A) तथा कार्बोनिक एनहाइड्रेज (carbonic anhydrase) (जैव प्रणाली के उत्प्रेरक) एन्जाइम हैं। 2. औषध रसायन (Medicinal Chemistry) – औषधं रसायन में कीलेट चिकित्सा के उपयोग में अभिरुचि बढ़ रही है। इसका एक उदाहरण है-पौधे/जीव-जन्तु निकायों में विषैले अनुपात में विद्यमान धातुओं के द्वारा उत्पन्न समस्याओं का उपचार। इस प्रकार कॉपर तथा आयरन की अधिकता को D-पेनिसिलऐमीन तथा डेसफेरीऑक्सिम B लिगेण्डों के साथ उपसहसंयोजन यौगिक बनाकर दूर किया जाता है। EDTA को लेड की विषाक्तता के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है। प्लैटिनम के कुछ उपसहसंयोजन यौगिक ट्यूमर वृद्धि को प्रभावी रूप से रोकते हैं। उदाहरण हैं- समपक्ष-प्लैटिन (cis-platin) तथा सम्बन्धित यौगिक 3. विश्लेषणात्मक रसायन (Analytical Chemistry) – गुणात्मक (qualitative) तथा मात्रात्मक (quantitative) रासायनिक विश्लेषणों में उपसहसंयोजन यौगिकों के अनेक उपयोग हैं। अनेक परिचित रंगीन अभिक्रियाएँ जिनमें धातु आयनों के साथ अनेक लिगेण्डों (विशेष रूप से कीलेट लिगेण्ड) की उपसहसंयोजन सत्ता बनने के कारण रंग उत्पन्न होता है, चिरसम्मत (classical) तथा यान्त्रिक (instrumental) विधियों द्वारा धातु आयनों की पहचान व उनके मात्रात्मक आकलन का आधार हैं। ऐसे अभिकर्मकों के उदाहरण हैं- EDTA, DMG (डाइमेथिल ग्लाइऑक्सिम), α- नाइट्रोसो- β- नैफ्थॉल आदि। 4. धातुओं का निष्कर्षण/धातुकर्म (Extraction of the Metals/Metallurgy) – धातुओं की कुछ प्रमुख निष्कर्षण विधियों में; जैसे- सिल्वर तथा गोल्ड के लिए, संकुल विरचन का उपयोग होता, है। उदाहरणार्थ-ऑक्सीजन तथा जल की उपस्थिति में गोल्ड, सायनाइड आयन से संयोजित होकर जलीय विलयन में उपसहसंयोजन सत्ता, [Au(CN)2]– बनाता है। इस विलयन में जिंक मिलाकर गोल्ड को पृथक् किया जा सकता है।...

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