प्रत्येक कबीले का अपना खास देवता को क्या कहा जाता था
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देवता कोई भी परालौकिक शक्ति का पात्र है,या पराप्राकृतिक है और इसलिये पूजनीय/अमर है। देवता अथवा देव इस तरह के पुरुषों के लिये प्रयुक्त होता है और देवी इस तरह की स्त्रियों के लिये। हिन्दू धर्म में देवताओं को या तो परमेश्वर (ब्रह्म) का लौकिक रूप माना जाता है, या तो उन्हें ईश्वर का सगुण रूप माना जाता है। यह माना जाता है कि यह शब्द जोरोस्ट्रियनवाद के फारसी शब्द 'दैव' (Daeva) से लिया गया है।[1][2][3]
बृहदारण्य उपनिषद में एक बहुत सुन्दर संवाद है जिसमें यह प्रश्न है कि कितने देव हैं। उत्तर यह है कि वास्तव में केवल एक है जिसके कई रूप हैं। पहला उत्तर है ३३ करोड़; और पूछने पर ३३३९; और पूछने पर ३३; और पूछने पर ३ और अन्त में डेढ और फिर केवल एक।
वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता है। प्रत्येक मन्त्र का देवता और ऋषि, कीलक होता है।
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