प्रत्यय और मूल शब्द 1: "ढूँढना"
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प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में, पर बाद में; जबकि ‘अय’ का अर्थ ‘चलने वाला’ है। अत: ‘प्रत्यय’ का अर्थ हुआ, ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है। प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के पश्चात् जोड़े जाने वाले वे अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या अर्थ बदल देते हैं।
जैसे–
सफल + ता = सफलता
अच्छा + ई = अच्छाई
यहाँ ‘ता’ और ‘आई’ दोनों शब्दांश प्रत्यय हैं, जो ‘सफल’ और ‘अच्छा’ मूल शब्द के बाद में जोड़ दिए जाने पर ‘सफलता’ और ‘अच्छाई’ शब्द की रचना करते हैं। हिन्दी भाषा के प्रत्यय को चार भागों में विभक्त किया गया है। जो निम्न हैं
संस्कृत प्रत्यय
हिन्दी प्रत्यय
विदेशज प्रत्यय
ई प्रत्यय