प्रदूषण आधुनिक युग का अभिशाप पर निबंध
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प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।
लगातार और अनावश्यक वनो की कटौती, शहरीकरण, औद्योगीकरण के माध्यम से ज्यादा उत्पादन, प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। इस तरह की गतिविधियों से उत्पन्न हुआ हानिकारक और विषैले कचरा, मिट्टी, हवा और पानी के लिए अपरिवर्तनीय परिवर्तन का कारण बनता है जोकि अंततः हमें दुःख की ओर अग्रसर करता है| यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।
प्रदूषण आधुनिक युग का अभिशाप पर निबंध |
Explanation:
विज्ञान के इस युग में मनुष्य को जहां विज्ञान से कई सारे वरदान मिले हैं वहीं कुछ अभिशाप भी अवश्य मिले हैं। ज्ञान के सबसे बड़े अभिशाप के बारे में यदि बात की जाए तो वह है प्रदूषण। प्रदूषण का जन्म विज्ञान की कोख से हुआ है और उसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है। सामान्य अर्थों में प्रदूषण का अर्थ होता है वातावरण का दूषित होना। पर्यावरण प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे- वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और जल प्रदूषण।
विश्व के बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से फैल रहा है। इसके फैलने के मुख्य कारण कल कारखानों का धुआं, मोटर वाहनों से निकला हुआ धुआं आदि है। जिसके कारण वायु में सांस लेना भी मनुष्य के लिए संभव नहीं रह सका है। वायु प्रदूषण के कारण बहुत से स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न हो रहे हैं जैसे हृदय संबंधी रोग और श्वसन संबंधी रोग आदि।
बड़े बाहर अगर कल कारखानों से निकले दूषित जल को नदी नालों में बहा देते हैं जिस कारण जल भी प्रदूषित होता है। जल प्रदूषित होने के कारण भी अनेक प्रकार की बीमारियां जन्म लेती है जिससे ना केवल मनुष्य बल्कि पृथ्वी पर जीने वाले कई सारे जीव जंतुओं की जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
ध्वनि प्रदूषण कल कारखानों यातायात और मोटर गाड़ियों के शोर और लाउडस्पीकर से निकली ध्वनि के कारण उत्पन्न होता है।
और भूमि प्रदूषण भूमि पर फैलाए गए कूड़े करकट आदि से फैलता है। प्रदूषण चाहे किसी भी प्रकार का क्यों ना हो उस में मनुष्य का सदैव नुकसान ही होता है क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण के कारण न तो समय पर वर्षा आती है और ना ही सर्दी गर्मी का चक्र ठीक प्रकार चल पाता है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्रदूषण आधुनिक युग का अभिशाप है।
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Pradushan Adhunik Yug ka abhishap par nibandh
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