Hindi, asked by shruti7587, 1 year ago

प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप झुकना

Answers

Answered by tanmaybhere100
126

प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)-जिन क्रियाओ से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।  

जैसे- काटना से कटवाना, करना से कराना।

एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है-  

मालिक नौकर से कार साफ करवाता है।

अध्यापिका छात्र से पाठ पढ़वाती हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में मालिक तथा अध्यापिका प्रेरणा देने वाले कर्ता हैं। नौकर तथा छात्र को प्रेरित किया जा रहा है। अतः उपर्युक्त वाक्यों में करवाता तथा पढ़वाती प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।

प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं :

(1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मालिक, अध्यापिका आदि।  

(2) प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसे- नौकर, छात्र आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया के रूप

प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं :

(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया  

(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया

माँ परिवार के लिए भोजन बनाती है।  

जोकर सर्कस में खेल दिखाता है।  

रानी अनिमेष को खाना खिलाती है।  

नौकरानी बच्चे को झूला झुलाती है।  

इन वाक्यों में कर्ता प्रेरक बनकर प्रेरणा दे रहा है। अतः ये प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण हैं।

सभी प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक होती हैं।

(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

माँ पुत्री से भोजन बनवाती है।  

जोकर सर्कस में हाथी से करतब करवाता है।  

रानी राधा से अनिमेष को खाना खिलवाती है।  

माँ नौकरानी से बच्चे को झूला झुलवाती है।

इन वाक्यों में कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है और दूसरे से कार्य करवा रहा है। अतः यहाँ द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है।

प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक-दोनों में क्रियाएँ एक ही हो रही हैं, परन्तु उनको करने और करवाने वाले कर्ता अलग-अलग हैं।

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया प्रत्यक्ष होती है तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया अप्रत्यक्ष होती है।

याद रखने वाली बात यह है कि अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है। जैसे-

राम लजाता है।  

वह राम को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती हैं। जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कर्ता अन्य (कर्म) को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है। इस प्रकार हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते हैं। प्रथम में 'ना' का और द्वितीय में 'वाना' का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना।

Answered by bhatiamona
56

प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप झुकना

प्रथम प्रेरणार्थक: प्रथम प्रेरणार्थक वह क्रिया होती है जिन क्रियाओं में कर्ता स्वयं कार्य करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है|

जैसे

माँ बच्चे को अनार खिलाती है|  

माँ स्वयं कार्य करके बच्चे को खाने के लिए प्रेरणा दे रही है|

द्वितीय प्रेरणार्थक:द्वितीय प्रेरणार्थक वह क्रिया होती है जिन क्रियाओं में कर्ता स्वयं कार्य नहीं करता , दूसरों से कार्य करवाता है|    

जैसे

मोहन सोहन से पत्र लिखवाता है|

महेश नाइ से बाल कटवाता है|

Similar questions