प्रथम विश्व युद्ध के राजनैतिक परिणामों का उल्लेख कीजिए।
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Explanation:
साम्राज्य का अंत
प्रथम विश्वयुद्ध में जिन बड़े साम्राज्य में केंद्रीय शक्तियों के साथ भाग लिया था उनका युद्ध के बाद पतन हो गया.
पेरिस शांति सम्मेलन के परिणाम स्वरुप ऑस्ट्रिया हंगरी सम्राज्य बिखर गया.
जर्मनी में होहेंज्जोर्लन और ऑस्ट्रिया हंगरी में हप्स्वर्गराजवंश का शासन समाप्त हो गया. वहां गणतंत्र की स्थापना हुई.
इसी प्रकार 1917 में रूसी क्रांति के परिणाम स्वरुप रूस में रोमोनोव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गई एवं गणतंत्र की स्थापना हुई.
तुर्की का ऑटोमन साम्राज्य भी समाप्त हो गया उसका अधिकांश भाग यूनान और इटली को दे दिया गया.
विश्व मानचित्र में परिवर्तन
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्व मानचित्र में परिवर्तन आया. साम्राज्यों के विघटन के साथ ही पोलैंड ,चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया जैसे नए राष्ट्रों का उदय हुआ.
ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस और रूस की सीमाएं बदल गई.
बाल्टिक साम्राज्य, रूसी साम्राज्य से स्वतंत्र कर दिए गए.
एशियाई और अफ्रीकी उपनिवेशों पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार करने से वहां भी परिस्थिति बदली. इसी प्रकार जापान को भी अनेक नए क्षेत्र प्राप्त हुए. इराक को ब्रिटिश एवं सीरिया को फ्रांसीसी संरक्षण में रख दिया गया.
फिलिस्तीन, इंग्लैंड को दे दिया गया.
सोवियत संघ का उदय
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस में 1917 में बोल्शेविक क्रांति हुई. इसके परिणाम स्वरुप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ. जारशाही का स्थान समाजवादी सरकार ने ले लिया.
उपनिवेशों में जागरणयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी की युद्ध समाप्त होने पर अंतिम निर्णय के सिद्धांत को लागू किया जाएगा. इससे अनेक उपनिवेशों और पराधीन देशों में स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावना बलवती हुई.प्रत्येक उपनिवेश में राष्ट्रवादी आंदोलन आरंभ हो गए. भारत में भी महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 से स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक चरण आरंभ हुआ.
विश्व राजनीति पर से यूरोप का प्रभाव कमजोर पड़ना
युद्ध के पूर्व तक विश्व राजनीति में यूरोप का अग्रणी भूमिका थी. जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड और रूस के इर्द-गिर्द विश्व राजनीति घूमती थी. परंतु 1918 के बाद यह स्थिति बदल गई योधोत्तर काल में अमेरिका का दबदबा बढ़ गया.
अधिनायकवाद का उदय
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम स्वरुप अधिनायकवाद का उदय हुआ.
वर्साय की संधि का सहारा लेकर जर्मनी में हिटलर और उसकी नाजी पार्टी ने सत्ता हथिया ली.
नाजीवाद ने एक नया राजनीतिक दर्शन दिया इससे सारी सत्ता एक शक्तिशाली नेता के हाथों में केंद्रित कर दी गई.
जर्मनी के समान इटली में भी मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवाद का उदय हुआ. इटली भी पेरिस सम्मेलन से असंतुष्ट था. अतः मित्र राष्ट्रों के प्रति इटली की कटुता बढ़ती गई. हिटलर के सामान और मुसोलिनी में भी सारी सत्ता अपने हाथों में केंद्रित कर ली.
द्वितीय विश्वयुद्ध का बीजारोपण
प्रथम विश्वयुद्ध ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच भी बो दिए. पराजित राष्ट्रों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया गया इससे वह अपने को अपमानित समझने लगे. उन राष्ट्रों में पुनः उग्र राष्ट्रीयता प्रभावी बन गई प्रत्येक राष्ट्र एक बार फिर से अपने को संगठित कर अपनी शक्ति बढ़ाने लगा एक एक कर संधि की शर्तों को जोड़ा जाने लगा. इससे विश्व एक बार फिर से बारूद के ढेर पर बैठ गया इसकी अंतिम परिणति द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई.
विश्व शांति की स्थापना का प्रयास प्रथम