प्रवाह के विषय में भारत का इतिहास किस प्रकार का है?
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भारत के इतिहास लेखन में भारत के इतिहास को विकसित करने के लिए विद्वानों द्वारा अध्ययन, स्रोतों, महत्वपूर्ण विधियों और व्याख्याओं का उल्लेख किया जाता है।
हाल के दशकों में इतिहास लेखन के चार मुख्य स्कूलों दर्ज किए गए हैं- कैम्ब्रिज, राष्ट्रवादी, मार्क्सवादी, और सबॉल्टर्न। इससे यह समझने की कोशिश की जाती है कि फ़लाँ इतिहासकार भारत का अध्ययन करते समय कौनसी बातों को अहमियत देता है। "ओरिएंटलिस्ट" दृष्टिकोण, जो एक समय पर काफ़ी अधिक प्रचलित था, भारत को एक अबूझ और पूर्ण रूप से आध्यात्मिक देश के तौर पर देखा करता था। आज के समय में इस दृष्टिकोण को इतिहासकार गम्भीरता से नहीं लेते हैं।[1]
" कैम्ब्रिज स्कूल", जिसका नेतृत्व अनिल सील,[2] गॉर्डन जॉनसन,[3] रिचर्ड गॉर्डन[4], और डेविड ए॰ वाशब्रुक[5] करते हैं विचारधारा पर काम ज़ोर डालता है। यह अंग्रेज़ शासकों के नज़रिए से इतिहास बताता है। इसमें अक्सर भारतीयों के भ्रष्टाचार और अंग्रेज़ों के आधुनिकीकरण संबंधी कार्यों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है। इसलिए, इतिहास लेखन के इस स्कूल की पश्चिमी पूर्वाग्रह या यूरोसेंट्रिज़्म के लिए आलोचना की जाती है।[6]
राष्ट्रवादी स्कूल कांग्रेस, गांधी, नेहरू और उच्च स्तरीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करता है। इसने १८५७ के विद्रोह को मुक्ति के युद्ध के रूप में देखा, और गांधी की 'भारत छोड़ो आन्दोलन' 1942 में ऐतिहासिक घटनाओं को परिभाषित करने के रूप में इसकी शुरूआत हुई। इतिहास लेखन के इस स्कूल को एलिटिज़्म के लिए आलोचना मिली है। [7]
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