प्रवास से आप क्या समझते हैं ?भारत में प्रवास के किन्हीं चार आर्थिक परिणामों का विश्लेषण कीजिये?
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व्यक्तियों के एक स्थान से दूसरे स्थान में जाकर बसने की क्रिया को प्रवास कहते हैं। इसके कई प्रकार हो सकते हैं। किसी दूसरे स्थान में आकर बसावट की प्रकृति के आधार पर इस प्रवास को (i) स्थाई अथवा (ii) अस्थाई कह सकते हैं। स्थाई प्रवास मेंं आए हुए व्यक्ति बसावट करने के बाद वापस अपने मूल स्थान नहीं जाते हैं। इसका सबसे सुन्दर एवं सरल उदाहरण ग्रामीण जनसंख्या का अपने-अपने गाँवों से रोजगार की तलाश में पलायन करके शहरों में आकर स्थाई रूप से बसना। अस्थाई प्रवास के अन्तर्गत वे लोग आते हैं जो कुछ समय रोजगार धंधा इत्यादि करके अपने मूल निवास स्थान को लौट जाते हैं। उदाहरण के लिए मौसमी प्रवास को लिया जा सकता है। फसल कटाई के समय बिहार के खेतिहर मजदूरों का पंजाब एवं हरियाणा प्रदेश में आकर रहना अस्थाई प्रवास है क्योंकि ये सब फिर से अपने अपने गाँवों को वापस लौट जाते हैं। बड़े-बड़े शहरों जैसे कोलकाता, चेन्नई, मुम्बई तथा अन्य बड़े शहरी क्षेत्रों में लोग सुबह आकर काम काज करके सायंकाल में वापस अपने घर चले जाते हैं। इस प्रकार के जनसंख्या के आवागमन को दैनिक प्रवास कहा जाता है।
पर्वतीय क्षेत्रों में सामान्यत: लोग ग्रीष्मकाल में अपने पशुओं के साथ घाटी इलाके से चलकर ऊँची पहाड़ियों पर पहुँच जाते हैं। जैसे ही शीत ऋतु का आगमन होता है, ये लोग अपने मवेशियों के साथ उतरकर पुन: अपने घाटी के इलाके में लौट आते हैं। इन लोगों का मूल स्थायी आवास घाटी में होता है तथा पर्वतीय ढलानों पर पशुओं को चराने के लिए चले जाते हैं। जब सर्दी में उच्च पर्वतीय ढाल ठंडे होने लगते हैं, वे लोग निम्न भागों की ओर घाटी में लौट आते हैं। आमतौर पर वार्षिक आवागमन के रास्ते तथा चारागाह भी वस्तुत: तय एवं निश्चित होते हैं। इस प्रकार, ऊँचाई के अनुसार प्रवास को ऋतु प्रवास कहते हैं। हिमाचल प्रदेश की गद्दी जनजाति तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की बकरवाल जनजाति प्रतिवर्ष ऐसा प्रवास करते हैं। प्रवासी लोगों के मूलस्थान तथा निर्दिष्ट स्थान के आधार पर प्रवास को चार भागों में बाँटा जा सकता है-
- ग्रामीण क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में
- ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में
- नगरीय क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में
- नगरीय क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में