। प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि डी.एन.ए. ही अनुवांशिक पदार्थ है।
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डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है इसके बारे में सुस्पष्ट प्रमाण अल्फ्रेड हर्षे व मार्था चेस (1952) के प्रयोगों से प्राप्त हुआ। इन्होंने उन विषाणुओं पर कार्य किया जो जीवाणु को संक्रमित करते हैं जिसे जीवाणुभोजी कहते हैं। जीवाणुभोजी जीवाणु से चिपकते हैं। अपने आनुवंशिक पदार्थ को जीवाणु कोशिका में भेजते हैं। जीवाणु कोशिका विषाणु के आनुवंशिक पदार्थ को अपना समझने लगते हैं जिससे आगे चलकर अधिक विषाणुओं का निर्माण होता है। हर्षे व चेस ने इस बात का पता लगाने के लिए प्रयोग किया कि विषाणु से प्रोटीन या डीएनए ‘निकल कर जीवाणु में प्रवेश करता है।
उन्होंने कुछ विषाणुओं को ऐसे माध्यम पर पैदा किया जिसमें एक को विकिरण सक्रिय फॉस्फोरस व दूसरे विषाणुओं को विकिरण सक्रिय सल्फर पर वृद्धि किया था। जिस विषाणु को विकिरण सक्रिय फॉस्फोरस की उपस्थिति में पैदा किया उसमें विकिरण सक्रिय डीएनए पाया गया जबकि विकिरण सक्रिय प्रोटीन नहीं था, क्योंकि डीएनए में फॉस्फोरस होता है, प्रोटीन नहीं। ठीक इसी तरह से विषाणु जिसे विकिरण सक्रिय सल्फर की उपस्थिति में पैदा किया गया उनमें विकिरण सक्रिय प्रोटीन पाई गई, डीएनए विकिरण सक्रिय नहीं था, क्योंकि डीएनए में सल्फर नहीं मिलता है।
विकिरण सक्रिय जीवाणुभोजी ई. कोलाई जीवाणु से चिपक जाते है। जैसे संक्रमण आगे बढ़ता है जीवाणु को सम्मिश्रक में हिलाने से विषाणु आवरण अलग हो जाता है। जीवाणुओं को अपकेंद्रकयंत्र में प्रचक्रण कराने से विषाणु कण जीवाणुओं से अलग हो जाते हैं। जो जीवाणु विकिरण सक्रिय डीएनए रखने वाले विषाण से संक्रमित हुए थे, वे विकिरण सक्रिय रहे । इससे स्पष्ट है कि जो पदार्थ विषाणु से जीवाणु में प्रवेश करता है, वह डीएनए है । जो जीवाणु उन विषाणुओं से संक्रमित थे जिनमें विकिरण सक्रिय प्रोटीन था, वे विकिरण सक्रिय नहीं हुए। इससे संकेत मिलता है कि प्रोटीन विषाणु से जीवाणु में प्रवेश नहीं करता है। इस कारण से आनुवंशिक पदार्थ डीएनए ही है जो विषाणु से जीवाणु में जाता है।
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डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है इसके बारे में सुस्पष्ट प्रमाण अल्फ्रेड हर्षे व मार्था चेस (1952) के प्रयोगों से प्राप्त हुआ। इन्होंने उन विषाणुओं पर कार्य किया जो जीवाणु को संक्रमित करते हैं जिसे जीवाणुभोजी कहते हैं। जीवाणुभोजी जीवाणु से चिपकते हैं। अपने आनुवंशिक पदार्थ को जीवाणु कोशिका में भेजते हैं। जीवाणु कोशिका विषाणु के आनुवंशिक पदार्थ को अपना समझने लगते हैं जिससे आगे चलकर अधिक विषाणुओं का निर्माण होता है। हर्षे व चेस ने इस बात का पता लगाने के लिए प्रयोग किया कि विषाणु से प्रोटीन या डीएनए ‘निकल कर जीवाणु में प्रवेश करता है।
उन्होंने कुछ विषाणुओं को ऐसे माध्यम पर पैदा किया जिसमें एक को विकिरण सक्रिय फॉस्फोरस व दूसरे विषाणुओं को विकिरण सक्रिय सल्फर पर वृद्धि किया था। जिस विषाणु को विकिरण सक्रिय फॉस्फोरस की उपस्थिति में पैदा किया उसमें विकिरण सक्रिय डीएनए पाया गया जबकि विकिरण सक्रिय प्रोटीन नहीं था, क्योंकि डीएनए में फॉस्फोरस होता है, प्रोटीन नहीं। ठीक इसी तरह से विषाणु जिसे विकिरण सक्रिय सल्फर की उपस्थिति में पैदा किया गया उनमें विकिरण सक्रिय प्रोटीन पाई गई, डीएनए विकिरण सक्रिय नहीं था, क्योंकि डीएनए में सल्फर नहीं मिलता है।
विकिरण सक्रिय जीवाणुभोजी ई. कोलाई जीवाणु से चिपक जाते है। जैसे संक्रमण आगे बढ़ता है जीवाणु को सम्मिश्रक में हिलाने से विषाणु आवरण अलग हो जाता है। जीवाणुओं को अपकेंद्रकयंत्र में प्रचक्रण कराने से विषाणु कण जीवाणुओं से अलग हो जाते हैं। जो जीवाणु विकिरण सक्रिय डीएनए रखने वाले विषाण से संक्रमित हुए थे, वे विकिरण सक्रिय रहे । इससे स्पष्ट है कि जो पदार्थ विषाणु से जीवाणु में प्रवेश करता है, वह डीएनए है । जो जीवाणु उन विषाणुओं से संक्रमित थे जिनमें विकिरण सक्रिय प्रोटीन था, वे विकिरण सक्रिय नहीं हुए। इससे संकेत मिलता है कि प्रोटीन विषाणु से जीवाणु में प्रवेश नहीं करता है। इस कारण से आनुवंशिक पदार्थ डीएनए ही है जो विषाणु से जीवाणु में जाता है।