पूस की रात कहानी की कथा तत्वों के आधार समीक्षा करते हुए कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजि
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पूस की रात कहानी की कथावस्तु और उद्देश्य...
‘पूस की रात’ कहानी ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गई कहानी है। इस कहानी की मूल संवेदना भारत के गरीब किसान की व्यथा को व्यक्त करने वाली है। भारत के गरीब किसान किस तरह जीृतोड़ परिश्रम करते हैं लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय और ज्यों की त्यों गरीबी वाली रहती है। इस कहानी के माध्यम से बताया गया है कि कैसे एक गरीब किसान जो अत्यंत ही गरीब है वह किस तरह जीवन के कठिन संघर्षों से जूझता है। जाड़ों की हड्डियों को कंपकंपा देने वाली ठंड में वह केवल अपने पुराने कंबल के साथ अपने खेत की फसल की पशुओं से रक्षा करता है। लेकिन अपने सीमित साधनों में वह ठंड से का सामना नहीं कर पाता और ठंड के आगे हार मानकर लापरवाह हो जाता है। फलस्वरुप जिस काम के लिए वह खेतों की सुरक्षा के लिए आया था, वह नहीं कर पाता और पशु उसके खेत को चर जाते हैं।
इस कहानी के द्वारा प्रेमचंद ने यह बताने की कोशिश की है कि हमारे किसान किस तरह कठिन परिस्थितियों में जी रहे हैं। आखिर वे भी इंसान ही हैं। प्रकृति की कठोर आपदाओं का गरीब असहाय किसान सामना नहीं कर पाते और फलस्वरूप अपना सब कुछ गंवा बैठते हैं। जैसेकि हल्कू किसान ने किया। ठंड का वह सामना नहीं कर पाया और सोता रह गया और अंततः उसके खेत जानवरों द्वारा चर लिए गए।
ये कहानी साधनहीन गरीब किसानों की उस व्यथा को भी उजागर करती है जिसमें वे साधनों के अभाव में प्रकृति की कठोरता के आगे हार मान लेते हैं।