पेंसिल के छिलके का महत्व हिंदी में
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निराश्रित बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत आश्रय चैरिटेबल ट्रस्ट का वार्षिकोत्सव शनिवार को मनाया गया। इस दौरान निराश्रित बच्चों ने निरर्थक चीजों जैसे पेंसिल के छिलके, खराब प्लेट, पेपर से आकर्षक पेंटिंग बनाई।
नगवां स्थित आश्रय स्कूल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में संस्थापक फादर फ्रांसिस के देखरेख में बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की। प्रदर्शनी में पेंसिल के छिलके से बनाई पेंटिंग आकर्षण का केंद्र रही। इसके साथ ही खराब प्लेट, पेपर से मून स्टार, जेलीफीस प्लेट टुक, रंगीन गार्डेन सन फ्लावर, सहित कई पेंटिंग बनाए। मैजिक शो, कैंडिल डांस और पंडित माता प्रसाद मिश्र के निर्देशन में प्रस्तुत कत्थक डांस सराहा गया। फादर फ्रांसिस ने कहा कि बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना ही संस्था का मुख्य उद्देश्य है।
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बात मेरे बचपन की है, यही कोई दूसरी या तीसरी कक्षा में पढ़ता था तब मैं… अखिलेश नाम का दोस्त था एक… एक दिन उसने बताया सब को कि, कटर (पेंसिल शार्पनर) से निकले पेंसिल के छिलकों को एकत्र कर यदि एक कटोरे में दूध में भिगा कर छत पर रख दिया जाये, किसी चांदनी रात को… और रखते समय हाथ जोड़ कर “ओअम् चंदा मामा नम:” भी जाप किया जाये तो सुबह तक कटोरे में रखा यह सब मिश्रण बेहतरीन रबड़(Eraser) में बदल जायेगा…ऐसा उसने अपनी दादी से सुना था और दादी की दादी तो इसी विधि से रबड़ बनाती भी थीं…
फिर क्या था जुट गये हम सब…रबड़ बनाने के काम में… न जाने कितना दूध खराब कर दिया…पर रबड़ बना नहीं कभी… हम सब दोस्त भी बड़े हो गये…पर फिर भी आज भी मिलने पर याद करते हैं… चांदनी रात में किये अपने उन प्रयोगों को…