पोस्टमार्टम कैसे होता है?
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प्रथम ठुड्डी से जघन (public) जोड़ तक शवछेदन कर, त्वचा एवं मांसपेशियों को हटाकर, वक्षअस्थि को पृथक् कर दिया जाता है। तत्पश्चात् आँत के ऊपर की झिल्ली तथा फुप्फुस झिल्ली का पूर्ण परीक्षण करना आवश्यक है।
देहगुहा के सर्व तंत्रों को पृथक् कर, उनका भार एवं उनका विस्तृत विवरण ज्ञात किया जाता है। सब तंत्रों को उनके रक्षक विलयन में, जैसे फॉर्मेलिन में, भली प्रकार रख देना अपेक्षित है। फॉर्मेलिन ऊतक की रचना को पूर्ववत् बनाए रखने में सहायक सिद्ध होता है। रक्षित ऊतक के खंड कर तथा उचित रंगमलिनता प्रदान कर, सूक्ष्मदर्शी से उनका परीक्षण किया जाता है।
यदि मृत्यु का कारण रोग न होकर कोई आकस्मिक दुर्घटना विषपान, अथवा अन्य कोई कारण हो, तो देहगुहा के तंत्र रक्षित विलयन में सुरक्षित रखे जाते हैं, तत्पश्चात् रासायनिक परीक्षण द्वारा परीक्षा होने पर मृत्यु का उचित कारण ज्ञात किया जाता है।