पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
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उत्तर:-
एक प्रारूप एक पुष्प के 4 भाग होते हैं।
(१) बाहृदलपुंज ( Calyx)
(२) दलपुंज (Corolla)
(३) पुमंग (Androcium)
(४) जायांग (Gynoecium)
(1) बाहृदलपुंज ( Calyx) :- पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के प्रथम चक्र को बाहृदलपुंज ( Calyx) पुंज कहते हैं। इस पूंज या चक्र का एक सदस्य बाहृदल (sepal) कहते है। लेकिन कभी-कभी यह आकर्षक और रंगीन भी हो जाते है ऐसी स्थिति में इन्हें दलाथ (petaliod) कहते हैं!
(२) दलपुंज (Corolla) :- पुष्प के पुष्पासन पर स्थित पुष्पी पत्रों के दूसरे चक्र को दलपुंज तथा इसके 1 सदस्य को दल कहते हैं यह सामान्यतः आकर्षक रंगों में पाए जाते हैं इनका आकर्षक रंग सुगंध तथा मकरंद कोष से निकलने वाला मकरंद कीटों को आकर्षित कर के पर परागण होने की क्रिया को प्रेरित करता है।
(३) पुमंग (Androcium):- पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्र के तीसरे चक्र को जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं जबकि इसका एक भाग पुंकेसर कहलाता है प्रत्येक प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों का बना होता है इसका पहला भाग पतला तंतु के समान होता है जो इसे पुष्पासनसे जोड़ता है इसे पुतंतु कहते हैं इसका दूसरा भाग पुतंतु के शीर्ष पर कोष के रूप में स्थित होता है इसे परागकोष कहते हैं। प्रत्येक परागकोष दो पिंडों का बना होता है जिन्हें परागकोष पाली कहते हैं।
(४) जायांग (Gynoecium) :- पुष्पआसन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चौथे और अंतिम केंद्रीय चक्र को जो मादा जनन अंग का कार्य करता है जायंग कहते हैं यह कई एकको का बना होता है इनको स्त्रीकेसर या अंडप कहते हैं।
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@GauravSaxena01
एक प्रारूप एक पुष्प के 4 भाग होते हैं।
(१) बाहृदलपुंज ( Calyx)
(२) दलपुंज (Corolla)
(३) पुमंग (Androcium)
(४) जायांग (Gynoecium)
(1) बाहृदलपुंज ( Calyx) :- पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के प्रथम चक्र को बाहृदलपुंज ( Calyx) पुंज कहते हैं। इस पूंज या चक्र का एक सदस्य बाहृदल (sepal) कहते है। लेकिन कभी-कभी यह आकर्षक और रंगीन भी हो जाते है ऐसी स्थिति में इन्हें दलाथ (petaliod) कहते हैं!
(२) दलपुंज (Corolla) :- पुष्प के पुष्पासन पर स्थित पुष्पी पत्रों के दूसरे चक्र को दलपुंज तथा इसके 1 सदस्य को दल कहते हैं यह सामान्यतः आकर्षक रंगों में पाए जाते हैं इनका आकर्षक रंग सुगंध तथा मकरंद कोष से निकलने वाला मकरंद कीटों को आकर्षित कर के पर परागण होने की क्रिया को प्रेरित करता है।
(३) पुमंग (Androcium):- पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्र के तीसरे चक्र को जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं जबकि इसका एक भाग पुंकेसर कहलाता है प्रत्येक प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों का बना होता है इसका पहला भाग पतला तंतु के समान होता है जो इसे पुष्पासनसे जोड़ता है इसे पुतंतु कहते हैं इसका दूसरा भाग पुतंतु के शीर्ष पर कोष के रूप में स्थित होता है इसे परागकोष कहते हैं। प्रत्येक परागकोष दो पिंडों का बना होता है जिन्हें परागकोष पाली कहते हैं।
(४) जायांग (Gynoecium) :- पुष्पआसन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चौथे और अंतिम केंद्रीय चक्र को जो मादा जनन अंग का कार्य करता है जायंग कहते हैं यह कई एकको का बना होता है इनको स्त्रीकेसर या अंडप कहते हैं।
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