पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी किस प्रकार से भिन्न हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
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वे रासायनिक पदार्थ जो सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं या विनाश करते हैं, "पूतिरोधी' (Antiseptics) कहलाते हैं। ये घावों की पट्टी करने में, कटी- फटी और रोगित त्वचीय सतह में अधिक प्रयोग किये जाते हैं। जैसे - Furacine, Soframicine, Bithional, Dettol etc.
वे रासायनिक पदार्थ जो सूक्ष्म जीवाणुओं को शीघ्रता से मार सकें "विसंक्रामक" या "असंक्रमणकारी" (Disinfectants) कहलाते हैं। ये पदार्थ जीवित ऊतकों के लिए हानिकारक होते हैं अत: इन्हें त्वचा पर प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे - phenol का 0.2% विलयन पूतिरोधी की तरह तथा 1% विलयन असंक्रमणकारी की तरह प्रयोग किया जाता है।
पूतिरोधी वे रासायनिक पदार्थ है, जो सूक्ष्मजीवों को मारते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं। इनका प्रयोग जीवित उत्तको के लिए सुरक्षित है।
अतः इनका प्रयोग घाव, चोट, व्रण (अल्सर) और रोग रोगग्रस्त त्वचा की सतह पर किया जाता है। उदाहरण डेटोल, फ्यूरासीन, सोफ्रामाइसिन, सेवलोन आदि।
संक्रमणहारी वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो सूक्ष्म जीवों को मारने में सक्षम होते हैं। परंतु जीवित उतको के लिए इन्हें प्रयोग करना सुरक्षित नहीं होता है।
इनका प्रयोग फर्श, नाले, उपकरणों आदि जैसे निर्जीव वस्तुओं के लिए किया जाता है। उदाहरण फिनोल (1% विलयन) तथा क्लोरीन (0.2 से 0.4 ppm)