पुत्र-वियोग में संभ्रांत महिला की क्या दशा हुई थी ?
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पुत्र—वियोगिनी के दुःख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पंद्रह—पंद्रह मिनट बाद पुत्र—वियोग से मूर्छा आ जातीथी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे।
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पुत्र—वियोगिनी के दुःख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पंद्रह—पंद्रह मिनट बाद पुत्र—वियोग से मूर्छा आ जातीथी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे।
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