Chemistry, asked by kumarvivek44635, 10 months ago

- पीतल एवं काँसे के अवयव तत्त्व बताएँ।

Answers

Answered by Superglactus
6

Answer:

i don't know

maybe

पीतल मिश्र धातु है, जो ताँबे और जस्ते के संयोग से बनती है। ताँबे में जस्ता डालने से ताँबे का सामर्थ्य, चौमड़पन और कठोरता बढ़ती है। यह वृद्धि ३६ प्रतिशत जस्ते तक नियमित रूप से होती है, पर बाद में केवल सामर्थ्य में वृद्धि अधिक स्पष्ट देखी ...

Answered by sapandss
2

Answer:

I give you all explation

Explanation:

पीतल

पीतल का लोटा

पीतल एक मिश्र धातु है, जो जस्ते और ताँबे के संयोग से बनायी जाती है। ताँबे में जस्ता मिलाने से ताँबे की सामर्थ्य, चौमड़पन और कठोरता बढ़ जाती है। यह वृद्धि 36 प्रतिशत जस्ते तक नियमित रूप से होती है, लेकिन बाद में केवल सामर्थ्य में वृद्धि अधिक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। पीतल में 2 से लेकर 36 प्रतिशत तक जस्ता रहता है। आज बाज़ार में बर्तनों की दुकानों पर इस्पात (स्टील) के अतिरिक्त पीतल के बर्तनों की भी अधिक माँग है। पीतल का कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पीतल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे निर्मित वस्तुएँ अधिक टिकाऊ और आकर्षक होती हैं।

कांसे की प्राचीन ढलाई। कांसा या कांस्य, किसी तांबे या ताम्र-मिश्रित धातु मिश्रण को कहा जाता है, प्रायः जस्ते के संग, परंतु कई बार फासफोरस, मैंगनीज़, अल्युमिनियम या सिलिकॉन आदि के संग भी होते हैं। (देखें अधोलिखित सारणी.) यह पुरावस्तुओं में महत्वपूर्ण था, जिसने उस युग को कांस्य युग नाम दिया। इसे अंग्रेजी़ में ब्रोंज़ कहते हैं, जो की फारसी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ पीतल है। काँसा (संस्कृत कांस्य) संस्कृत कोशों के अनुसार श्वेत ताँबे अथवा घंटा बनाने की धातु को कहते हैं। विशुद्ध ताँबा लाल होता है; उसमें राँगा मिलाने से सफेदी आती है। इसलिए ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को काँसा या कांस्य कहते हैं। साधारण बोलचाल में कभी–कभी पीतल को भी काँसा कह देते हैं, जा ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है। ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को 'फूल' भी कहते हैं। इस लेख में काँसा से अभिप्राय ताँबे और राँगे की मिश्रधातु से है। अंग्रेजी में इसे ब्रॉज (bronze) कहते हैं। काँसा, ताँबे की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है और कम ताप पर पिघलता है। इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है। 16 भाग ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु बहुत कड़ी नहीं होती। इसे नरम गन-मेटल (gun-metal) कहते हैं। राँगे का अनुपात दुगुना कर देने से कड़ा गन-मेटल बनता है। 7 भाग ताँबा और 1 भाग राँगा रहने पर मिश्रधातु कड़ी, भंगुर और सुस्वर होती है। घंटा बनाने के लिए राँगे का अनुपात और भी बढ़ा दिया जाता है; साधारणत: 3 से 5 भाग तक ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु इस काम में लिए प्रयुक्त होती है। दर्पण बनाने के लिए लगभग 2 भाग ताँबा और एक भाग राँगे का उपयोग होता था, परंतु अब तो चाँदी की कलईवाले काँच के दर्पणों के आगे इसका प्रचलन मिट गया है। मशीनों के धुरीधरों (bearings) के लिए काँसे का बहुत प्रयोग होता है, क्योंकि घर्षण (friction) कम होता है, परंतु धातु को अधिक कड़ी कर देने के उद्देश्य से उसमें कुछ अन्य धातुएँ भी मिला दी जाती हैं। उदाहरणत:, 24 अथवा अधिक भाग राँगा, 4 भाग ताँबा और 8 भाग ऐंटिमनी प्रसिद्ध 'बैबिट' मेटल है जिसका नाम आविष्कारक आइज़क (Issac Babiitt) पर पड़ा है। इसका धुरीधरों के लिए बहुत प्रयोग होता है। काँसे में लगभग 1 प्रतिशत फ़ास्फ़ोरस मिला देने से मिश्रधातु अधिक कड़ी और चिमड़ी हो जाती है। ऐसी मिश्रधातु को फ़ॉस्फ़र ब्रॉज कहते हैं। ताँबे आर ऐल्युमिनियम की मिश्रधातु को ऐल्युमिनियम ब्रॉंज़ कहते हैं। यह धातु बहुत पुष्ट होती है और हवा या पानी में इसका अपक्षरण नहीं होता। .

Similar questions